BJP का कौन सा नारा कितना चलेगा - देश में 'अबकी बार 400 पार' और बनारस में 'अबकी बार 10 लाख पार'
AajTak
देश भर में 'अबकी बार 400 पार' के बीजेपी के मिशन को अंजाम तक पहुंचाने निकले बीजेपी नेता अमित शाह ने फिलहाल बनारस में डेरा डाल रखा है, जहां बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत का मार्जिन बढ़ाने के नये लक्ष्य पर काम कर रही है - 'अबकी बार 10 लाख पार'.
अव्वल तो अमित शाह आखिरी दौर की 13 लोकसभा सीटें बीजेपी की झोली में डालने के लिए दिन रात एक किये हुए हैं, लेकिन बनारस में पहले से ही डेरा डालने के पीछे एक और बड़ा मकसद है - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत के अंतर में सुधार की हर संभव कोशिश.
वाराणसी लोकसभा सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने ऐसा कोई उम्मीदवार तो नहीं ही है जो करीब पहुंच कर टक्कर दे सकता है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि उसकी जमानत ही जब्त हो जाये. बनारस के बीजेपी समर्थक तो जोश से लबालब नजर आ रहे हैं, और अपनी तरफ से भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहे हैं कि मोदी बड़े आराम से 10 लाख वोटों के अंतर से जीत सकते हैं, लेकिन ऐन उसी वक्त कांग्रेस समर्थक भले ही थोड़े नरम पड़ रहे हों, लेकिन समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में वैसा ही हल्लाबोल हौसला नजर आता है, जैसा अखिलेश यादव और राहुल गांधी रैलियों में देखने को मिल रहा है.
बाकी रही बात बनारस की राजनीति की नब्ज पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों की तो उनकी दलील के आगे बीजेपी का दावा बहुत मजबूत नहीं नजर आता. और हां, बीजेपी के 10 लाख वाले लक्ष्य के हासिल करने में सबसे बड़ा चैलेंज है - मौसम का जानलेवा मिजाज.
क्या कहते हैं बनारस के लोग?
राम विलास सिंह गाजीपुर के रहने वाले हैं, लेकिन बनारस में बस चुके हैं. मोदी के जीत के अंतर के सवाल पर कहते हैं, मोदी जी 10 लाख से ज्यादा वोटों से जीतेंगे... और बीजेपी को भी देश भर में 400 से ज्यादा सीटें मिलेंगी. पक्की बात है.
ये पूछने पर कि आपको इस बात का कैसे यकीन हो रहा है, सवाल को लगभग किनारे करते हुए बड़े ताव से कहते हैं, कोई शक है क्या? आपको हो सकता है, हमे कोई शक शुबहा नहीं है, पूरा भरोसा है मोदी जी रिकॉर्ड वोटों से जीतने जा रहे हैं.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.