AIIMS भुवनेश्वर के डॉक्टर्स बने देवदूत, मरीज की खोपड़ी से निकाला 7 KG का ट्यूमर
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AIIMS Bhubaneswar: मरीज ने इलाज के लिए तमाम मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों का दौरा किया था, लेकिन ट्यूमर की दुर्लभ प्रकृति के कारण उसका ऑपरेशन नहीं किया जा सका. आखिर उन्होंने फिर AIIMS भुवनेश्वर के प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट में डॉक्टर को दिखाया.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) भुवनेश्वर के डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल के 51 वर्षीय मरीज की खोपड़ी से 7 किलोग्राम वजन का एक दुर्लभ सिनोवियल सार्कोमा ट्यूमर निकाला है. विशेषज्ञ डॉक्टर्स की मौजूदगी में यह जटिल ऑपरेशन करीब सात घंटे तक चला.
दरअसल, पश्चिम बंगाल के रवींद्र बिसुई (51 साल) बीते 25 साल से एक छोटे ट्यूमर से जूझ रहे थे. ट्यूमर का आकार पिछले सात महीनों में अचानक बढ़ गया, जिससे उनका दैनिक जीवन गंभीर रूप से प्रभावित होने लगा. मरीज ने इलाज के लिए तमाम मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों का दौरा किया था, लेकिन ट्यूमर की दुर्लभ प्रकृति के कारण उसका ऑपरेशन नहीं किया जा सका. आखिर उन्होंने फिर AIIMS भुवनेश्वर के प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट में डॉक्टर को दिखाया.
डॉक्टर्स की टीम ने पाया कि मरीज की खोपड़ी पर सिनोवियल सारकोमा ट्यूमर है. एम्स-भुवनेश्वर में बर्न्स और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. संजय गिरी ने मामले की जटिलता को समझा और खोपड़ी से ऐसे सूजे हुए ट्यूमर को हटाने में शामिल जोखिम पर के बारे में मरीज के परिजनों को बताया.
एम्स की सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी और एनेस्थिसियोलॉजी विभागों के विशेषज्ञ डॉक्टर्स की टीम ने इसे कठिन चुनौती के तौर पर लिया. हालांकि, सावधानीपूर्वक प्लानिंग और अत्याधुनिक तकनीकों ने ऑपरेशन की सफलता सुनिश्चित की.
10 घंटे की मैराथन सर्जरी के बाद मरीज रवींद्र मेडिकल टीम की विशेषज्ञता और समर्पण से की वजह से विजयी हुए. उन्होंने हृदय से प्रशंसा व्यक्त करते हुए डॉक्टरों की तुलना देवदूतों से की, जिनकी वजह से उनको एक नई जिंदगी प्रदान मिली है.
एम्स-भुवनेश्वर के कार्यकारी निदेशक आशुतोष विश्वास ने यह सफल ऑपरेशन लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है.
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