AAP से बगावत कर 'हाथी' की सवारी, क्या लोकसभा चुनाव में बसपा बिगाड़ेगी INDIA ब्लॉक का समीकरण?
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बहुजन समाज पार्टी ने दिल्ली की 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. जिनमें राजकुमार आनंद नई दिल्ली सीट से मैदान में हैं. जबकि AAP से बगावत कर मोहम्मद वकार चौधरी पूर्वी दिल्ली से चुनावी ताल ठोक रहे हैं.
दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राजकुमार आनंद ने आम आदमी पार्टी छोड़कर बसपा की टिकट पर नई दिल्ली सीट से चुनावी ताल ठोकी है. उन्होंने अपने रोड शो में दावा किया कि 'नई दिल्ली सीट हम जीत रहे हैं. साथ ही कहा कि केरीवाल के ख़िलाफ़ पूरी दिल्ली में लहर चल रही है. राजकुमार आनंद ने भले ही AAP की प्राथमिक सदस्यता और मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया हो और बसपा जॉइन कर ली हो, लेकिन तकनीकि रूप से उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हो पाया है. वहीं केजरीवाल सशर्त जमानत पर हैं कि वो सीएम पद से संबंधित कोई काम नहीं कर सकते. बहरहाल ये तकनीकि विषय है, लेकिन आम आदमी पार्टी के बागियों की एंट्री से दिल्ली में राजनीतिक समीकरण बदल गया है.
बहुजन समाज पार्टी ने दिल्ली की 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. जिनमें राजकुमार आनंद नई दिल्ली सीट से मैदान में हैं. जबकि AAP से बगावत कर मोहम्मद वकार चौधरी पूर्वी दिल्ली से चुनावी ताल ठोक रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि राजधानी दिल्ली में 1.52 करोड़ से अधिक मतदाता हैं, जिसमें करीब 15% अनुसूचित जाति के वोटर हैं, बहुजन समाज पार्टी की नजर इन वोटों के साथ ही मुस्लिम मतदाताओं पर भी है.
राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन है. यहां पहली बार दो-ध्रुवीय मुकाबला है. AAP के बागी और बसपा प्रत्याशी अगर चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो समीकरण काफी हद तक बदल सकता है. बीएसपी के संस्थापक कांशीराम पूर्वी दिल्ली से 1989 और 1991 में लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. बसपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह का दावा है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के हाथ मिलाने से बहुजन समाज और मुस्लिम नाराज हैं. इसलिए समर्थन बसपा प्रत्याशियों को मिलेगा. अगर बीएसपी के सबसे उम्दा प्रदर्शन की बात करें तो 2008 में दिल्ली विधानसभा में बसपा के दो विधायक बने थे और 6 सीटों पर वह दूसरे स्थान पर रही थी.
दिल्ली में हर चुनाव लड़ती रही है बीएसपी
साल 2014 और 2019 में गैर जाटव और गैर यादव ओबीसी को लेकर भाजपा ने जो सोशल इंजीनियरिंग की थी. 2024 में बीएसपी की मौजूदगी से उसे बड़ी चुनौती मिलने के संकेत हैं. यही वजह है कि कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है, दिल्ली नगर निगम की 250 और दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर बीएसपी हर चुनाव लड़ती रही है. दिल्ली में साल 2019, 2014 और 2009 में बीएसपी ने दिल्ली में चुनाव लड़ा था. 2008 में दिल्ली विधानसभा लड़ने पर बीएसपी के 2 विधायक भी जीतकर आए थे.
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