88 साल पहले दुनिया में पहली बार इस देश में हुए थे EXIT Poll, जानें- भारत में कैसे हुई इसकी शुरुआत
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2014 और 2019 के आम चुनाव के एग्जिट पोल सही साबित हुए. दोनों ही बार एग्जिट पोल में बीजेपी की जीत का अनुमान लगाया गया था और नतीजों में भी यही रहा. 2014 में बीजेपी ने 282 और 2019 में 303 सीटें जीती थी.
लोकसभा चुनाव 2024 के सातवें और आखिरी चरण के तहत शनिवार को देशभर में वोटिंग हो रही है. इसके बाद चुनावों के नतीजों की घोषणा चार जून को की जाएगी. लेकिन चुनावी नतीजों से पहले शनिवार शाम से ही एग्जिट पोल (Exit Poll) के नतीजे आने शुरू हो जाएंगे. ऐसे में ये जान लेना जरूरी है कि एग्जिट पोल होता क्या है? इसे कैसे कराया जाता है? और आखिर इसकी शुरुआत कैसे हुई?
क्या होता है एग्जिट पोल?
किसी भी चुनाव में मतदान के बाद जब वोटर पोलिंग बूथ से बाहर निकलता है तो उससे पूछा जाता है कि उसने किस पार्टी या उम्मीदवार को वोट दिया है. इस सर्वे के लिए देश की कई प्रमुख एजेंसियां शामिल रहती हैं, जो अलग-अलग ढंग से एग्जिट पोल करती हैं. ये एजेंसियां मतदान के दिन अपने लोगों को पोलिंग बूथ के बाहर तैनात करती हैं, जैसे ही वोटर मतदान कर बाहर निकलते हैं. उनसे कई तरह के सवाल पूछे जाते हैं, मसलन- उन्होंने किस पार्टी को वोट दिया. प्रधानमंत्री पद के लिए उनका पसंदीदा उम्मीदवार कौन सा है, वगैरह-वगैरह.
एग्जिट पोल को रिप्रेजेन्टेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951 के सेक्शन 126ए के तहत नियंत्रित किया जाता है. वहीं, चुनाव आयोग एग्जिट पोल को लेकर बकायदा दिशानिर्देश भी जारी करता है, जिसमें बताया जाता है कि एग्जिट पोल का तरीका क्या होना चाहिए.
एग्जिट पोल की शुरुआत कैसे हुई?
भारत की तरह दुनियाभर के कई देशों में चुनावों से पहले एग्जिट पोल कराए जाते हैं. अमेरिका से लेकर एशिया और अफ्रीका तक कई महाद्वीपों पर ये पोल कराए जाते रहे हैं. लेकिन सबसे पहला एग्जिट पोल 1936 में अमेरिका में कराया गया था. उस समय जॉर्ज गैलप और क्लॉड रॉबिनसन ने न्यूयॉर्क में सर्वे किया था. मतदान केंद्रों से बाहर आ रहे वोटर्स से पूछा गया था कि कि उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए किस उम्मीदवार को वोट दिया है.
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