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'8 में 5 तो घरवाले थे...', क्या बोले वो प्रत्याशी, जिन्हें दिल्ली चुनाव में मिले 4, 8, 9 वोट
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लोकतांत्रिक पर्व में अक्सर जीतने वालों की ही बात होती है. उन उम्मीदवारों का जिक्र शायद ही किया जाता है, जो इस लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भरोसा करके चुनावी मैदान में उतरते हैं और जिनकी जमानत तक जब्त हो जाती है. हजारों-लाखों वोटों के मुकाबले वे बमुश्किल दहाई के अंक तक पहुंच पाते हैं. लेकिन उनका हौसला नहीं टूटता और वे दोबारा चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट जाते हैं.
दिल्ली विधानसभा के नतीजे आ चुके हैं. चर्चाएं उन लोगों की हो रही हैं, जो इस चुनाव में जीतकर आगे आए हैं. सबसे ज्यादा चर्चा नई दिल्ली विधानसभा सीट की रही, जहां दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हार गए. उन्हें शिकस्त देने वाले प्रवेश वर्मा रहे.
लेकिन इस लोकतांत्रिक पर्व में अक्सर जीतने वालों की ही बात होती है. उन उम्मीदवारों का जिक्र शायद ही किया जाता है, जो इस लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भरोसा करके चुनावी मैदान में उतरते हैं और जिनकी जमानत तक जब्त हो जाती है. हजारों-लाखों वोटों के मुकाबले वे बमुश्किल दहाई के अंक तक पहुंच पाते हैं. लेकिन उनका हौसला नहीं टूटता और वे दोबारा चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट जाते हैं.
ऐसी ही एक सीट थी नई दिल्ली विधानसभा, जहां 23 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे. हैरानी की बात यह है कि 9 उम्मीदवार ऐसे थे, जो 20 से ज्यादा वोट भी नहीं पा सके. आजतक ने नई दिल्ली विधानसभा के कुछ ऐसे ही उम्मीदवारों से बात की, जिन्होंने अपना अनुभव साझा किया.
'हमारी पार्टी ने कांग्रेस से ज्यादा केजरीवाल को नुकसान पहुंचाया!'
यह दावा है दिल्ली विधानसभा सीट से मात्र 4 वोट हासिल करने वाले ईश्वर चंद का. वे इस चुनाव में सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार रहे.
72 साल के ईश्वर चंद ने नई दिल्ली विधानसभा सीट से भारत राष्ट्र डेमोक्रेटिक पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. हालांकि वे मयूर विहार फेज-2 के रहने वाले हैं, लेकिन उन्होंने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नामांकन भरा. दिलचस्प बात यह है कि उनका खुद का वोट पटपड़गंज में रजिस्टर्ड है.
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प्रयागराज में माघ पूर्णिमा के अवसर पर करीब 2 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई. इस दौरान शासन-प्रशासन हर मोर्चे पर चौकस रहा. योगी आदित्यनाथ ने सुबह 4 बजे से ही व्यवस्थाओं पर नजर रखी थी. श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण ट्रेनों और बसों में यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा. देखें.
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हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास में शुक्ल पक्ष का 15वीं तिथि ही माघ पूर्णिमा कहलाती है. इस दिन का धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से खास महत्व है और भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. लोग घरों में भी कथा-हवन-पूजन का आयोजन करते हैं और अगर व्यवस्था हो सकती है तो गंगा तट पर कथा-पूजन का अलग ही महत्व है.