559 गिरफ्तारियां, महज 10 ही मिले दोषी... क्या महज पॉलिटिकल टूल है राजद्रोह कानून?
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केंद्र सरकार की एजेंसी एनसीआरबी 2014 से आईपीसी-124A के तहत दर्ज हुए केस, गिरफ्तारियों और दोषी पाए लोगों का डेटा रख रही है. इसके मुताबिक 2014 से 2019 तक 326 केस दर्ज हुए, जिनमें 559 लोगों को गिरफ्तार किया गया, हालांकि 10 आरोपी ही दोषी साबित हो सके.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दो टीवी चैनलों के खिलाफ आंध्र प्रदेश पुलिस की ओर से राजद्रोह के आरोप में कार्रवाई करने पर रोक लगा दी. 3 जून को सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ हिमाचल प्रदेश में दर्ज राजद्रोह के मामले को खारिज कर दिया. वहीं पिछले हफ्ते लक्षद्वीप प्रशासक प्रफुल्ल पटेल की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने पर पुलिस ने फिल्म निर्माता आयशा सुल्ताना पर राजद्रोह का मामला दर्ज कर लिया. इन घटनाओं के बाद देश में एक बार फिर राजद्रोह के खिलाफ बना कानून चर्चा में है, जो देशद्रोह कानून के नाम से ज्यादा जाना जाता है. जानकार इसे मौजूदा दौर के हिसाब से अप्रासंगिक कानून बता रहे हैं, आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं. ये भी सच है कि पिछले कुछ सालों में इसका इस्तेमाल राजनीतिक वजहों से ज्यादा हुआ है.गौतम अडानी एक बार फिर चर्चा में हैं क्योंकि उन पर सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के ठेके पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को करोड़ों रुपये की रिश्वत देने का आरोप है. इस मामले पर NSUI ने भी प्रदर्शन किया है. इस मुद्दे ने राजनीतिक और व्यावसायिक जगत में खलबली मचा दी है, जिसमें भ्रष्टाचार और व्यापारिक नैतिकता के सवाल शामिल हैं.
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