"1947 की आज़ादी भीख," कंगना के बयान से फूटा विवाद का ज्वालामुखी
AajTak
पद्मश्री कंगना रनौत के एक बयान ने देश की सियासत में आग लगा दी है. विपक्ष कंगना पर ज्वालामुखी की तरफ फूट पड़ा है क्योंकि कंगना ने कह दिया है कि 1947 में आज़ादी भीख में मिली थी, असली आज़ादी तो 2014 में मिली है. कंगना का ये विचार एक बड़े वर्ग को रास नहीं आया और वो निशाने पर आ गईं. वैसे तो कंगना बॉलीवुड से लेकर देशभर में बड़बोली के नाम से मशहूर हैं, लेकिन इसबार कंगना ने उस बड़बोलेपन को भी क्रॉस कर दिया है. कंट्रोवर्सी क्वीन कंगना ने भारत की आज़ादी को लेकर जो बयान दिया है, उससे देश की सियासत का ज्वालामुखी फट पड़ा है. अब पूछने वाले यही पूछ रहे हैं कंगना को पता है इतिहास की कोई किताब है, कंगना को पता है, आज़ादी के नायक कौन कौन हैं, क्या कंगना को पता है इस देश को आज़ाद कराने के लिए हमारे नायकों ने अंग्रेज़ों की गोलियां खायी हैं, अंग्रेज़ों के अत्याचार झेले हैं, जेल गए हैं, आंदोलन किये हैं, और कंगना ने पद्मश्री का अवॉर्ड हाथ लगते ही सबकुछ धो डाला. देखें ये वीडियो
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.