105 साल पहले का वो कानून, जिससे बनी लोकसभा... जानें- स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का पद कैसे आया
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1919 में ब्रिटिश इंडिया में एक कानून पास किया गया था, जिसके बाद संसद के दो सदनों का गठन हुआ था. निचला सदन था- सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली और ऊपरी सदन था- काउंसिल ऑफ स्टेट. बाद में यही लोकसभा और राज्यसभा बनाए गए.
मोदी 3.0 में भी ओम बिरला ही लोकसभा के स्पीकर होंगे. उन्हें ध्वनि मत से स्पीकर चुन लिया गया है. विपक्षी INDIA ब्लॉक ने के. सुरेश को मैदान में उतारा था. हालांकि, विपक्ष ने ही डिविजन नहीं मांगा, जिस वजह से स्पीकर का फैसला ध्वनि मत से ही हो गया.
ये पांचवीं बार है जब किसी लोकसभा स्पीकर को दोबारा चुना गया है. ओम बिरला से पहले एमए आयंगर, जीएस ढिल्लों, बलराम जाखड़ और जीएमसी बालयोगी ही दोबारा स्पीकर चुने गए हैं. हालांकि, अब तक सिर्फ बलराम जाखड़ ही एकमात्र ऐसे हैं, जिन्होंने लगातार दो बार स्पीकर का कार्यकाल पूरा किया है.
स्पीकर तो चुन लिया गया है और अब बारी डिप्टी स्पीकर की है. पिछली मोदी सरकार में डिप्टी स्पीकर का पद खाली रहा था. विपक्ष की मांग है कि परंपरा के मुताबिक डिप्टी स्पीकर का पद उसे मिलना चाहिए. हालांकि, अब तक डिप्टी स्पीकर के पद को लेकर कुछ साफ नहीं हुआ है. डिप्टी स्पीकर के पद की संवैधानिक बाध्यता नहीं है. डिप्टी स्पीकर का चुनाव कब होगा, ये स्पीकर तय करेंगे.
लोकसभा स्पीकर का पद संवैधानिक पद होता है. सदन का सबसे प्रमुख व्यक्ति स्पीकर ही होता है. सदन में स्पीकर की मंजूरी के बिना कुछ नहीं हो सकता. सदन की कार्यवाही स्पीकर की देखरेख में ही होती है. अगर स्पीकर नहीं हैं तो डिप्टी स्पीकर सदन की कार्यवाही चलाते हैं.
लोकसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का पद कैसे आया? ये जानते हैं, लेकिन उससे पहले जानेंगे कि देश में लोकसभा कैसे बनी?
1919 का वो कानून
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