10 साल बाद किसके लिए कैसा होगा जम्मू-कश्मीर का विधानसभा चुनाव
AajTak
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने के बाद राज्य का दर्जा वापस मिलने के मामले में भी 'मोदी की गारंटी' मिल गई है. ये बातें तो अमित शाह भी कई बार कह चुके हैं, लेकिन श्रीनगर की जमीन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा खास मायने रखता है - देखना है कि राजनीतिक दलों के लिए ये चुनाव कैसा होता है?
आखिरकार, वो घड़ी काफी करीब आ चुकी है जिसका जम्मू-कश्मीर के लोगों को निश्चित रूप से इंतजार रहा होगा. सूबे में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के बाद जल्दी ही पहले की तरह जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस मिलने जा रहा है - और ये बात श्रीनगर जाकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कही है.
2019 में धारा 370 खत्म कर दिये जाने के बाद जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित क्षेत्र बना दिया गया था. तभी से वहां के राजनीतिक दल राज्य का दर्जा वापस दिये जाने की मांग कर रहे हैं. सरकार की तरफ से बार बार यही कहा जा रहा था कि पहले चुनाव होंगे और उसके बाद ही राज्य का दर्जा वापस मिलेगा.
जम्मू-कश्मीर के नेताओं की प्रधानमंत्री मोदी से दिल्ली में हुई मुलाकात के दौरान भी ये मांग उठी थी. जम्मू-कश्मीर के नेता पहले स्टेटहुड फिर चुनाव की मांग कर रहे थे, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से जोर देकर यही कहा गया कि चुनाव के बाद ही राज्य का दर्जा वापस मिलेगा. बाद में भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा था कि संसद में किया गया वादा पूरा होगा, लेकिन क्रम यही रहेगा - पहले चुनाव, फिर स्टेटहु़ड (पूर्ण राज्य का दर्जा).
अब तो दो दिन के दौरे पर श्रीनगर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बोल दिया है कि विधानसभा चुनाव के बाद जल्द ही जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा हासिल हो जाएगा.
जम्मू-कश्मीर में लोगों से मुखाबित प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है... वो समय दूर नहीं है, जब आप अपने वोट से सरकार चुन सकते हैं.'
और उसके बाद वो बात भी कह डाली जिसे सुनने के लिए लोगों के कान तरस रहे थे, मोदी ने कहा, 'वो दिन भी दूर नहीं... जब जम्मू-कश्मीर एक राज्य के रूप में अपना भविष्य खुद तय कर सकता है.'
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.