1 जुलाई से लागू होंगे 3 नए क्रिमिनल लॉ, केंद्र ने सभी प्रशिक्षण संस्थानों को दिए ये निर्देश
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कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने सभी मंत्रालयों और विभागों को निर्देश जारी किए हैं कि वे अपने प्रशासनिक नियंत्रण के तहत आने वाले सभी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूशंस को इन तीन नए कानूनों के सब्जेक्ट मैटर (विषय-वस्तु) को ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल करने के लिए निर्देश जारी करें.
केंद्र सरकार ने भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 पेश किए हैं. ये आधिकारिक तौर पर 1 जुलाई से लागू होंगे. केंद्र ने अपने अधीन सभी प्रशिक्षण संस्थानों से कहा कि वे सरकारी कर्मचारियों के लिए आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में तीन नए आपराधिक कानूनों पर सामग्री शामिल करें.
वहीं, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने सभी मंत्रालयों और विभागों को निर्देश जारी किए हैं कि वे अपने प्रशासनिक नियंत्रण के तहत आने वाले सभी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूशंस को इन तीन नए कानूनों के सब्जेक्ट मैटर (विषय-वस्तु) को ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल करने के लिए निर्देश जारी करें.
एक आधिकारिक आदेश के अनुसार संस्थानों से कहा गया है कि वे नए कानूनों के माध्यम से पेश किए गए परिवर्तनों के अवलोकन वाले ई-पाठ्यक्रमों का उपयोग करें. यह iGoT पोर्टल पर उपलब्ध हैं. तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 अब भारतीय दंड संहिता (1860), दंड प्रक्रिया संहिता (1973) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) की जगह लेंगे, जिन्हें 25 दिसंबर 2023 को अधिसूचित किया गया था. ये 1 जुलाई से प्रभावी होंगे.
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने सभी केंद्रीय सरकारी मंत्रालयों और विभागों को जारी आदेश में कहा कि सभी मंत्रालयों और विभागों से अनुरोध है कि वे अपने प्रशासनिक नियंत्रण के तहत प्रशिक्षण संस्थानों को इन तीन नए कानूनों की सामग्री को उनके द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल करने के लिए निर्देश जारी करें.
वहीं, आपराधिक कानूनों के एक जुलाई से लागू होने के मद्देनजर वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर सभी हितधारकों के साथ आगे विचार-विमर्श होने तक कानूनों को स्थगित करने की मांग की है. जयसिंह ने कानून मंत्री को लिखे पत्र में कहा कि हर लंबित मामले में यह सवाल उठेगा कि किसी विशेष मामले में कौन सा कानून लागू होगा. यह तीन नए आपराधिक कानूनों के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने के सवाल से बिल्कुल अलग है, जो लोगों के दिमाग में मंडरा रहा है. हालांकि, मैं इस पहलू पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही हूं क्योंकि ये न्यायपालिका के लिए तय करने के लिए सवाल हैं.
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