हालात बदल गए, जज्बात बदल गए... इंडिया बनाम भारत पर बीजेपी और विपक्ष दोनों का यू-टर्न!
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India vs Bharat Row: देश के नाम को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है. ऐसा माना जा रहा है कि मोदी सरकार संविधान में संशोधन कर 'इंडिया' शब्द हटा सकती है. अगर ऐसा होता है तो फिर आधिकारिक तौर पर देश का सिर्फ 'भारत' ही नाम हो जाएगा. लेकिन आज से ठीक आठ साल पहले मोदी सरकार ने देश के नाम को सिर्फ 'भारत' किए जाने का विरोध भी किया था.
India vs Bharat Row: विलियम शेक्सपियर ने लिखा था, 'नाम में क्या रखा है? जिसे हम गुलाब कहते हैं. उसे किसी और दूसरे नाम से भी बुलाएंगे तो भी उसकी खुशबू वैसी ही भीनी रहेगी.' ज्यादातर लोग शेक्सपियर की इस बात से सहमत नहीं होंगे. क्योंकि नाम ही है जो व्यक्ति से लेकर देश तक की सबसे प्रमुख पहचान होता है. हर नाम का एक इतिहास भी होता है.
इस समय हमारे देश में भी 'नाम' को लेकर बहस चल रही है और वो भी देश के नाम को लेकर. बहस है कि देश का नाम 'भारत' ही कर दिया जाए. 'इंडिया' शब्द को हटा दिया जाए. इस बहस की शुरुआत राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू की ओर से भेजे गए इन्विटेशन कार्ड पर 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखे जाने से शुरू हुई. अब तक 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' लिखा जाता था. इसके बाद G-20 समिट के और नए आईडी कार्ड सामने आए. इनमें 'इंडियन ऑफिशियल' की जगह 'भारत ऑफिशियल' लिखा है.
इतना ही नहीं, आसियान समिट से जुड़े फंक्शन नोट्स पर नरेंद्र मोदी के साथ 'द प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत' लिखा है.
इस पर सियासत भी शुरू हो गई है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि ये सब ड्रामा इसलिए हो रहा है, क्योंकि विपक्ष एकजुट हो गया है और गठबंधन का नाम I.N.D.I.A. रख लिया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कहा कि अगर कल को विपक्षी गठबंधन भारत नाम रख लेता है तो क्या भारत नाम भी बदल दिया जाएगा.
पलटवार में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि ये कौन लोग हैं जो भारत नाम का विरोध कर रहे हैं? अब इन्हें नाम से भी दिक्कत है.
हालांकि, देश का नाम 'भारत' हो या 'इंडिया'? इस पर आजादी के बाद से ही बहस शुरू हो गई थी. इतना ही नहीं, आज जो मोदी सरकार देश का नाम 'भारत' किए जाने का समर्थन कर रही है, उसी ने आठ साल पहले सुप्रीम कोर्ट में इसका विरोध किया था.
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