स्लम हो या पॉश इलाका, दिल्ली में हर तरफ जल संकट... सियासी लड़ाई के बीच राहत का इंतजार
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देश की राजधानी दिल्ली इस वक्त जल संकट से जूझ रही है और इसके लिए राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. दिल्ली वासी इस राजनीतिक रस्साकसी से बहुत परेशान हैं. हर मुद्दा , चाहे वह कितना भी गंभीर क्यों न हो, उसका सिर्फ राजनीतिकरण किया जाता है और नतीजा शून्य होता है.
राजधानी में बढ़ते जल संकट के लिए AAP ने बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया तो दिल्ली बीजेपी की महिला मोर्चा ने AAP के जल मंत्री आतिशी के मथुरा रोड आवास पर प्रदर्शन किया और मटके फोड़े. उन्होंने जल संकट की जिम्मेदारी AAP सरकार पर डाल दी. दिल्ली वासी इस राजनीतिक रस्साकसी से बहुत परेशान हैं. हर मुद्दा , चाहे वह कितना भी गंभीर क्यों न हो, उसका सिर्फ राजनीतिकरण किया जाता है और नतीजा शून्य होता है.
ईस्ट दिल्ली निवासी बीएस वोहरा का कहना है कि, हम अभी भी सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं. हमारे शहर में अभी भी कूड़े के पहाड़ हैं. हमारे पास अभी भी पीने के पानी की समस्या है. हर गर्मियों में यमुना सूख जाती है जबकि मानसून के दौरान जब भी बारिश होती है, तो लगभग हर इलाके में 1 से 2 फीट पानी (जलभराव) हो जाता है. गंदी राजनीति के बजाय अगर हमारे नेता मुद्दों को गंभीरता से हल करने के लिए आगे आएं, तो दिल्ली वालों को राहत मिल सकती है. हमने एक दिन पहले 52.3⁰C तापमान को पार कर लिया है, सिर्फ़ इसलिए क्योंकि हमारे नेता सार्वजनिक मुद्दों पर गंभीर नहीं हैं. वोहरा ईस्ट दिल्ली RWA ज्वाइंट फ्रंट के अध्यक्ष भी हैं.
RWA Sector A Pocket B Vasantkunj निवासी अमित अग्रवाल का कहना है कि, केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारें दिल्लीवासियों के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रही हैं. दोनों ही सरकारें पिछली कई आपदाओं से सीख लेने के बाद भी बिना किसी योजना के आगे बढ़ रही हैं. 2000 की शुरुआत में एक योजना बनाई गई थी कि किसी भी आपदा या नहर में दरार आने की स्थिति में 48 घंटे के लिए पानी का भंडारण टैंक बनाया जाए, जबकि बड़े भंडारण टैंक बनाए गए थे, लेकिन वे हमेशा खाली रहते हैं और कभी भी इस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किए जाते हैं.
अग्रवाल ने आरोप लगाया कि राजनेता वोट बैंक की राजनीति के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्रों को गंगा का पानी दे रहे हैं, जो पहले से ही भूजल से समृद्ध हैं. जैसे पूर्वी दिल्ली, लेकिन वास्तविक उपयोगकर्ताओं को वंचित कर रहे हैं, जैसे दक्षिणी दिल्ली के लोग (सोनिया विहार). यहां तक कि रिज क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी आरएमबी या सीईसी की मंजूरी के बिना बुनियादी ढांचे का निर्माण करके अवैध रूप से पाइप से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है.
दिल्ली के 2000 रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की बड़ी संस्था ऊर्जा यानी यूनाइटेड रेजिडेंट ज्वाइंट एक्शन के प्रेसिडेंट अतुल गोयल का कहना है कि, लगभग हर नागरिक मुद्दे पर राज्य नेतृत्व और एलजी के बीच राजनीतिक रस्साकशी के कारण, दिल्ली के नागरिक बहुत पीड़ित हैं, यह सब सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद हो रहा है, बेहतर है कि राजधानी को राज्य के बजाय पूर्ण केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा बहाल किया जाए और आवश्यक सेवाओं की मर्यादा बनाए रखी जाए, और राजनीतिक रस्साकशी को शांत किया जाए.
United Residents of Delhi-URD के महासचिव सौरभ गांधी ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी उपराज्यपाल के साथ समन्वय कर दिल्ली के लोगों की दिक्कत दूर करने के बजाय पिछले 9 सालों से सिर्फ राजनीतिकरण करने में लगी हुई है. यह नागरिको को साफ दिखता है. हर बार पानी की किल्लत की समस्या पर हरियाणा पर ठीकरा फोड़ने की आदत बन चुकी है. सत्ता आने से पहले ये प्रदूषण को लेकर पंजाब की पराली पर ठीकरा फोड़ते थे, मगर जैसे ही पंजाब मे इनकी सरकार बनी उसके बाद से प्रदूषण पर पंजाब का नाम लेना ही छोड़ दिया अगर कभी इनकी सरकार हरियाणा में बन गई तो पानी पर भी इस राज्य की सरकार पर चुप्पी साधे रहेंगे.
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