सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी, पूछा स्पेशल संसद सत्र का एजेंडा, उठाए ये 9 मुद्दे
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सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को संसद के स्पेशल सत्र को लेकर चिट्ठी लिखी है. कांग्रेस नेता ने अपनी चिट्ठी में कहा कि विपक्ष को इसके एजेंडा के बारे में कोई जानकारी नहीं है. आम तौर पर विशेष सत्र से पहले बातचीत होती है और आम सहमति बनाई जाती है.
मोदी सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाया है. यह सत्र 18 से 22 सितंबर तक चलेगा. हालांकि इस सत्र का एजेंडा क्या है, इसको लेकर सरकार की ओर से जानकारी नहीं दी गई. विपक्ष लगातार मांग कर रहा है कि सरकार इस एजेंडा बताए. इसको लेकर सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को चिट्ठी भी लिखी है, जिसमें स्पेशल सत्र का एजेंडा पूछा है.
सोनिया गांधी ने अपनी चिट्ठी में बताया कि विपक्ष को विशेष सत्र के एजेंडा बारे में जानकारी नहीं है. आम तौर पर विशेष सत्र से पहले बातचीत होती है और आम सहमति बनाई जाती है. इसका एजेंडा भी पहले से तय होता है और सहमति बनाने की कोशिश होती है. यह पहली बार है कि कोई बैठक बुलाई जा रही है और एजेंडा तय नहीं है, न ही सहमति बनाने का प्रयास किया गया.
सोनिया ने कहा कि इस विशेष सत्र के पांचों दिन सरकारी बिजनेस के लिए एलोकेट किए गए हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में नौ मुद्दे भी उठाए हैं.
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने चिट्ठी में बताया कि विपक्ष इन नौ मुद्दों पर चर्चा चाहता है. इनमें महंगाई, एमएसएमई, बेरोजगारी, किसानों की मांग, अडानी मुद्दे पर जेपीसी की मांग, जातीय जनगणना, केंद्र-राज्य संबंध, चीन बॉर्डर और सामाजिक सद्भाव शामिल हैं.
सोनिया गांधी ने उठाए मुद्दे
1- आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों, बढ़ती बेरोजगारी, असमानताओं में वृद्धि और एमएसएमई के संकट पर ध्यान केंद्रित करने वाली वर्तमान आर्थिक स्थिति 2- MSP को लेकर सरकार द्वारा किसान और किसान संगठनों को किए गए वादे 3- अडानी समूह पर खुलासे की जांच को लिए जेपीसी जांच 4- मणिपुर के लोगों की पीड़ा और राज्य में संवैधानिक तंत्र और सामाजिक सद्भाव का टूटना 5- हरियाणा जैसे राज्यों में सांप्रदायिक तनाव 6- चीन द्वारा भारतीय क्षेत्र पर कब्जा जारी रखा गया और लद्दाख-अरुणाचल प्रदेश में हमारी सीमाओं पर हमारी संप्रभुता को चुनौती दी गई 7- जातीय जनगणना की अर्जेंट जरूरत 8- केंद्र राज्य संबंधों को पहुंचाया जा रहा नुकसान 9- कुछ राज्यों में अत्यधिक बाढ़ और कुछ में सूखे के कारण होने वाली प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव
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