सैम पित्रौदा को फिर बनाया गया ओवरसीज कांग्रेस का अध्यक्ष, चुनाव के बीच बयानों पर विवाद के बाद छोड़ा था पद
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कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा को दोबारा ओवरसीज कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपने विवादित बयानों के बाद पद छोड़ दिया था.
कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा को एक बार फिर ओवरसीज कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपने विवादित बयानों के बाद पद से इस्तीफा दे दिया था. सैम की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस ने एक प्रेस रिलीज जारी की है. इसमें वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने आधिकारिक घोषणा में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सैम पित्रोदा को तत्काल प्रभाव से भारतीय ओवरसीज कांग्रेस का अध्यक्ष फिर से नियुक्त किया है. अपनी नियुक्ति के बाद सैम पित्रोदा ने इंडिया टुडे से खास बातचीत करते हुए कहा कि मुझे पद से हटाया नहीं गया था. मैंने खुद इससे हटने का फैसला लिया था, जिसे कांग्रेस ने स्वीकार किया था. मैं 82 साल का हो चुका हूं. मुझे अब किसी पद पर बने रहने की मंशा नहीं है. लेकिन लोगों ने मुझसे गुजारिश की, जिसके बाद मैंने इसके लिए (फिर से चेयरमैन बनना) हामी भरी. बयानों पर हुए हंगामे पर पित्रोदा ने कहा, मैंने कोई नस्लभेद की बात नहीं की थी. उसे गलत समझा गया.
बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान सैम पित्रोदा का एक वीडियो सामने आया था. इसमें वह कहते हैं कि ''भारत एक अत्यंत विविधता भरा देश है, जहां पूर्वी भारत में रहने वाले लोग चीन के लोगों जैसे, पश्चिम में रहने वाले अरब जैसे, उत्तर भारत में रहने वाले श्वेतों की तरह और दक्षिण में रहने वाले अफ्रीकी लोगों की तरह दिखते हैं. लेकिन इससे फर्क नहीं पड़ता. हम सभी भाई-बहनें हैं. वे कहते हैं कि हम अलग-अलग भाषाओं, धर्मों और रीति-रिवाजों का सम्मान करते हैं. ये वही भारत है, जिस पर मेरा भरोसा है, जहां हर किसी का सम्मान है और हर कोई थोड़ा-बहुत समझौता करता है.''
इस बयान से पहले सैम ने विरासत टैक्स को लेकर भी बयान दिया था. जिसे लेकर जमकर हंगामा हुआ था. सैम पित्रोदा ने कहा था कि अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है. अगर किसी शख्स के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है. उसके मरने के बाद 45 फीसदी संपत्ति उसके बच्चों को ट्रांसफर हो जाती है जबकि 55 फीसदी संपत्ति पर सरकार का मालिकाना हक हो जाता है. उन्होंने कहा था कि ये बहुत ही रोचक कानून है. इसके तहत प्रावधान है कि आपने अपने जीवन में खूब संपत्ति बनाई है और आपके जाने के बाद आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए. पूरी संपत्ति नहीं बल्कि आधी, जो मुझे सही लगता है. लेकिन भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है. यहां अगर किसी के पास 10 अरब रुपये की संपत्ति है. उसके मरने के बाद उनके बच्चों को सारी की सारी संपत्ति मिल जाती है, जनता के लिए कुछ नहीं बचता. मुझे लगता है कि इस तरह के मुद्दों पर लोगों को चर्चा करनी चाहिए. मुझे नहीं पता कि इस चर्चा का निचोड़ क्या निकलेगा. हम नई नीतियों और नए प्रोग्राम की बात कर रहे हैं, जो लोगों के हित में हो ना कि सिर्फ अमीरों के हित में हो.
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