सुरंग में फंसे मजदूरों की सर्च के लिए मंगाए एंडोस्कोपी कैमरे... जानें 9 दिन में कहां तक पहुंचा रेस्क्यू
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नेशनल हाइवेज और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDLC) के डायरेक्टर अंशू मनीष खालगो ने इस रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जो 4 इंच की लाइफलाइन थी उसको 6 इंच का कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि सुरंग के लिए ड्रिल करने के लिए हमें कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जैसे, एक पत्थर की शिला बीच में आ रही थी, जिसको हम भेद नहीं पा रहे हैं.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग ढहने की वजह से 41 मजदूरों की जान उसी सुरंग में फंसी हुई है. बीते 9 दिनों से सरकारें उन मजदूरों को निकालने की कोशिश में जुटी हैं. लेकिन अब तक एक भी मजदूर को बाहर नहीं निकाला जा सका है. हालांकि इस बीच अच्छी बात यह है कि मजदूरों तक लगातार खाने पीने की चीजें पहुंचाई जा रही हैं. इन मजदूरों को मल्टीविटामिन, अवसादरोधी दवाओं के साथ साथ सूखे मेवे और मुरमुरे भेजे जा रहे हैं. ताकि ये मजदूर टनल में सुरक्षित बने रहें. मजदूरों को ये सब एक चार इंच के पाइप के द्वारा भेजा जा रहा है. इसके अलावा टनल में बिजली चालू है, ऐसे में यह गनीमत है कि सुरंग के जहां मजदूर फंसे हैं, वहां रोशनी है.
ऐसे में नेशनल हाइवेज और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDLC) के डायरेक्टर अंशू मनीष खालगो ने इस रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जो 4 इंच की लाइफलाइन थी उसको 6 इंच का कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि सुरंग के लिए ड्रिल करने के लिए हमें कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जैसे, एक पत्थर की शिला बीच में आ रही थी, जिसको हम भेद नहीं पा रहे हैं. इसके लिए Auger मशीन का बैकअप हमारे पास आ गया है. मजदूरों को निकालने के लिए 2 जगह से हॉरिजॉन्टल ड्रिल भी की जा रही है. वहीं 2 जगह से वर्टिकल ड्रिल की जा रही है.
वहां की स्थिति देखने के लिए कोशिश जारी
NHIDCL के प्रमुख ने बताया कि मशीन फिलहाल रेडी है और जैसे ही स्ट्रक्चरिंग पूरी तरह तैयार हो जाएगी, मशीन तुरंत काम करना शुरू कर देगी. हमने ड्रोन मंगाया है. ड्रिलिंग की धूल की वजह से ड्रोन अच्छी तस्वीर नहीं ले पाया. हमारे पास रोबोट आ गए हैं. प्लेन सर्फेस में रोबोट का काम आसान होता है, लेकिन यहां पर जमीन दरदरी है. ऐसे में रोबोट के काम करने का तरीका देख रहे हैं. दिल्ली से हम एंडोस्कोपी कैमरा मंगा रहे हैं, जो लाइफ लाइन पाइप के जरिए हम मजदूर तक भेजेंगे और वहां की स्थिति देख पाएंगे.
मजदूरों को निकालने में कितना वक्त लगेगा?
मजदूरों को निकालने में कितना वक्त लगेगा. इस सवाल के जवाब में NHIDCL के प्रमुख अंशू मनीष खालगो ने कहा कि जो भी समय सीमा अब तक सामने आ रही है, वह अलग-अलग विशेषज्ञों से बात करने के बाद आ रही है. लेकिन परिस्थितियां बेहद विषम हैं. हमारी पूरी कोशिश है जल्दी से जल्दी उन्हें निकाल सकें.
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