सस्वर पाठ, शुद्ध उच्चारण और सटीक पूजा पद्धति... अयोध्या के राम मंदिर में पूजा के लिए ट्रेनिंग ले रहे अर्चक
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प्रशिक्षित किए जा रहे अर्चक वेद मंत्रों के अलावा रामानंदीय पद्धति को भी आत्मसात कर रहे हैं. यूं तो इस प्रशिक्षण के लिए कई आचार्य लगाए गए हैं लेकिन इसकी शुरुआत आचार्य केशव ने मंत्रों की शुद्धता और मंत्रों के लय क्रमिक पाठ से शुरू किया.
अयोध्या में राम मंदिर के लिए नवनियुक्त अर्चकों पुजारियों का प्रशिक्षण शुरू कर दिया गया है. तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सभागार में 21 अर्चकों को मंत्रोच्चार का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षण के दौरान अर्चकों को 2000 का स्टाइपेंड मिलेगा इसके अलावा तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट प्रशिक्षण के दौरान के सभी खर्च को वहन करेगा.
प्रशिक्षित किए जा रहे अर्चक वेद मित्रों के अलावा रामानंदीय पद्धति को भी आत्मसात कर रहे हैं. यूं तो इस प्रशिक्षण के लिए कई आचार्य लगाए गए हैं लेकिन इसकी शुरुआत आचार्य केशव ने मंत्रों की शुद्धता और मंत्रों के लय क्रमिक पाठ से शुरू किया.
प्रशिक्षण के लिए सत्र निर्धारण का कार्यक्रम शुरू हो चुका है जिसमें वेद मंत्रों का लय सहित उच्चारण सबसे अहम है. इसके अलावा अर्चकों के प्रशिक्षण को चार सत्रों में बांटा गया है. इसमें 45 मिनट का नित्य आराधना एवं 45 मिनट का योग अभ्यास का सत्र होगा. तीसरा सत्र 1 घंटे का होगा जिसमें वैदिक कक्षा तथा एक घंटे का रामानंदीय उपासना विधि का अध्ययन शामिल किया गया है. चौथे और अंतिम सत्र में पाठ अभ्यास होगा यह सत्र 2 घंटे का होगा जिसमें वेद मंत्रों के उच्चारण की शुद्धि का प्रशिक्षण होगा.
रामानंदीय संप्रदाय के अनुसार होगी पूजा पद्धति अयोध्या में बने रहे राम मंदिर में पूजा पद्धति भी मौजूदा पद्धति से अलग होगी. यह रामानंदीय संप्रदाय के अनुसार होगी. इस पूजा के लिए खास अर्चक होंगे. राम जन्मभूमि परिसर में स्थित अस्थाई मंदिर में अभी तक पूजा पद्धति अयोध्या की अन्य मंदिरों की तरह पंचोपचार विधि ( सामान्य तरीके) से होती है. इसमें भगवान को भोग लगाना, नए वस्त्र धारण कराना, और फिर सामान्य रूप से पूजन और आरती शामिल है.22 जनवरी से बदल जाएगी प्रक्रिया 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह सबकुछ बदल जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामानंदीय परंपरा के अनुसार यह किया जाएगा. मुख्य पुजारी, सहायक पुजारी और सेवादारों के लिए रामानंदीय पूजा पद्धति से रामलला की पूजा आराधना का विधान होगा. इसमें इन सभी के वस्त्र पहनने के तरीके समेत पूजा की कई चीजे निर्धारित होगी. हनुमान चालीसा की तरह रामलला की स्तुति के लिए नई पोथी ( किताब ) होगी. जिसकी रचना हो चुकी है और उसे अंतिम रूप देने का काम हो रहा है.
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