सरकारी नौकरियों में ओबीसी के आंकड़े मांगकर आखिर योगी सरकार करना क्या चाहती है?
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उत्तर प्रदेश की सियासत जाति के इर्द-गिर्द ही सिमटी हुई है. सूबे की योगी सरकार ने दस सालों में सरकारी नौकरियों के पिछड़ा वर्ग आरक्षण में ओबीसी प्रतिनिधित्व का आंकड़ा मांगा है. सवाल उठने लगे हैं कि क्या बीजेपी सरकार 2024 के चुनाव से पहले ओबीसी आरक्षण को तीन हिस्सों में बांटने का कदम उठाकर सपा और बसपा को घेरने की रणनीति बना रही है या कोई और सियासी दांव है...
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पिछड़े वर्ग को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण को क्या तीन हिस्सों में बांटने की तरफ बढ़ रही है? यह बात इसलिए क्योंकि योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2010 से लेकर 2020 के बीच विभिन्न विभागों में ओबीसी आरक्षण के तहत हुई नियुक्तियों का जातिवार विवरण मांगा है. ओबीसी आरक्षण कोटा पूरा हुआ या नहीं ये आंकड़े भी सरकार ने मांगे हैं.
योगी सरकार पिछले 10 साल में सरकारी नौकरियों में ओबीसी प्रतिनिधित्व का आकलन करने जा रही है. इसके तहत राज्य सरकार की सेवाओं में ओबीसी की 79 उपजातियों के हिसाब से कार्मिकों की गिनती होगी. पहली बार समूह 'क' से 'घ' तक के पदों में ओबीसी की उपजातियों की स्थिति बतानी है. पदों का विवरण कैडर के मुताबिक देना होगा. इसके लिए सरकार ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिवों को पत्र भेजा है.
साल 2010 से 2020 के बीच उत्तर प्रदेश में कुल स्वीकृत पद, भरे गए पद, ओबीसी के लिए तय पद, ओबीसी से भरे गए पद, सामान्य श्रेणी में चयनित ओबीसी की संख्या, कुल भरे गए पदों के मुकाबले ओबीसी का प्रतिशत कितना रहा आदि जानकारियां सरकार ने मांगी हैं. इसी के मद्देनजर 83 विभागों में से 40 के अफसरों की एक बैठक 23 अगस्त को और बाकी विभागों के अधिकारियों की बैठक 24 अगस्त को बुलाई गई है.
मायावती से लेकर अखिलेश राज का आंकड़ा
सीएम योगी के इस कदम से सूबे में सरकारी नौकरियों में ओबीसी की जातियों में किस जाति को आरक्षण का कितना लाभ मिला और किसे फायदा नहीं मिला, यह बात सार्वजनिक होगी. जिस तरह 2010 से 2020 के बीच का आंकड़ा मांगा गया है, उसमें दो साल मायावती शासन के, पांच साल अखिलेश यादव के शासन के और तीन साल योगी सरकार के कार्यकाल के हैं. पता चलेगा कि किस सरकार में ओबीसी की किस जाति को कितनी नौकिरयां मिलीं.
माना जाता है कि मंडल कमीशन लागू होने के बाद 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण का सबसे ज्यादा फायदा यूपी में यादव, कुर्मी, चौरसिया, कुशवाहा, मुस्लिम जुलाहे और जाट समुदाय के लोगों को मिला है. ओबीसी की अन्य जातियों को इनकी तुलना में ज्यादा लाभ नहीं मिला. बीजेपी यह बात खुलकर कहती रही है कि ओबीसी आरक्षण का लाभ पिछड़े वर्ग के कुछ खास हिस्से को मिलता रहा है.
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