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संक्रांति हिंदू कैलेंडर से नहीं बल्कि अंग्रेजी तारीख से क्यों? भाविश अग्रवाल ने उठाया सवाल, जानिए इसका जवाब
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लोहड़ी, पोंगल और मकर संक्रांति जैसे त्योहार ग्रेगोरियन कैलेंडर पर निश्चित तिथियों पर होते हैं, जबकि दिवाली, होली, जन्माष्टमी जैसे अन्य भारतीय त्योहार पारंपरिक भारतीय पंचांग पर आधारित होते हैं, ऐसा क्यों है?
आज पूरे देश में लोहड़ी का त्योहार मनाया जा रहा है और कल मकर संक्रांति है. वहीं, OLA के CEO भावेश अग्रवाल ने त्योहारों की तिथियों को लेकर एक सवाल उठाते हुए X प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट किया है कि 'लोहड़ी, पोंगल और मकर संक्रांति जैसे त्योहार ग्रेगोरियन कैलेंडर पर निश्चित तिथियों पर होते हैं, जबकि दिवाली, होली, जन्माष्टमी जैसे अन्य भारतीय त्योहार पारंपरिक भारतीय पंचांग पर आधारित होते हैं, ऐसा क्यों हैं?'
ग्रेगोरियन कैलेंडर में मकर संक्रांति की तारीख होती है निश्चित, जानिए कारण?
पंडित अरुणेश कुमार शर्मा ने तर्क देते हुए बताया कि इसका मुख्य कारण इन त्योहारों के पीछे की खगोलीय गणना और कैलेंडर प्रणाली है. संक्रांति पर सूर्य का राशि परिवर्तन होता है. ये सभी लगभग पक्की होती हैं क्योंकि सूर्य हर दिन एक अंश आगे बढ़ता है. हर महीने की 13, 14, 15 और 16 को यह होती है क्योंकि महीनों के दिन कभी 30 तो कभी 31 होते हैं. फाइनली दिसंबर आखिरी महीना होता है. उसके बाद संक्रांति पुनः 14 के आसपास ही होती है.
संक्रांति का संबंध तिथि से नहीं होता है
दिवाली, होली, जन्माष्टमी त्योहारों में मूल गणना चंद्रमा और सूर्य की गति से निर्मित तिथि के आधार पर की जाती है. इसलिए ये तिथि के कॉम्बिनेशन पर निर्भर होती है. तिथि निर्धारण में भारतीय पंचांग की सबसे सटीक गणना है. इसमें सूर्य चंद्रमा पृथ्वी तीनों की गति की संयुक्त गणना होती है क्योंकि तीनों ही धुरी पर चक्कर के दौरान कोण बदलते रहते हैं.
लेकिन, संक्रांति तिथि के अनुसार नहीं मनाई जाती है. सूर्य की वार्षिक स्थिति होती है. मकर संक्रांति को सूर्य उत्तरायण होते हैं. हमेशा संक्रांति चंद्रमा की अनुपस्थिति में ही होती है. लोहड़ी, पोंगल, बीहू सभी इसी संक्रांति के कारण हैं. चंद्रमा यहां गणना में नहीं है. साथ ही ये सभी दिन के त्योहार होते हैं और सूर्योदय से ही इनका संबंध भी होता है.
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