'श्रमिकों के पसीने की महक ही मेरी मेडिसिन', कुवैत में बोले पीएम मोदी
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुवैत की यात्रा पर हैं, इस दौरान उन्होंने भारतीय श्रमिकों से संवाद किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं घर-घर में जरूरी सुविधाएं पहुंचा रहा हूं. 140 करोड़ लोगों के लिए मेहनत कर रहा हूं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुवैत की यात्रा पर हैं, इस दौरान उन्होंने भारतीय श्रमिकों से संवाद किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं घर-घर में जरूरी सुविधाएं पहुंचा रहा हूं. 140 करोड़ लोगों के लिए मेहनत कर रहा हूं. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत में सबसे सस्ता डेटा (इंटरनेट) है और अगर हम दुनिया में कहीं भी या भारत में भी ऑनलाइन बात करना चाहते हैं, तो लागत बहुत कम है. यहां तक कि अगर आप वीडियो कॉन्फ्रेंस करते हैं, तो भी लागत बहुत कम है. लोगों के लिए बड़ी सुविधा है, वे हर शाम वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपने परिवार के सदस्यों से बात कर सकते हैं.
क्या आप मेडिकल लीव लेते हैं? इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि श्रमिकों के पसीने की महक ही मेरी मेडिसिन है.
'मैं 140 करोड़ लोगों के लिए मेहनत करता हूं'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं जब 2047 तक विकसित भारत की बात करता हूं तो इसका कारण यही है कि मेरे देश का एक श्रमिक साथी इतना दूर आकर यही सोचता है कि मेरे गांव में एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट बने, यही एस्पिरेशन ही मेरे देश की ताकत है. पीएम मोदी ने कहा कि हमारे किसान, श्रमिक बहुत मेहनत करते हैं, जब मैं इन्हें मेहनत करते देखता हूं तो मुझे लगता है कि वो अगर 10 घंटे काम करते हैं तो मुझे 11 घंटे काम करना चाहिए. अगर वो 11 घंटे काम करते हैं तो मुझे 12 घंटे काम करना चाहिए. उन्होंने श्रमिकों से कहा कि आप अपने परिवार के लिए मेहतन करते हैं, मैं भी अपने परिवार के लिए काम करता हूं, मेरे परिवार में 140 करोड़ लोग हैं तो मुझे ज्यादा काम करना पड़ता है.
पीएम मोदी ने बताया डेवलपमेंट का मतलब
श्रमिकों से बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि मेरे लिए डेवलपमेंट का मतलब बढ़िया सड़क, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन तक ही सीमित नहीं हैं, मुझे तो गरीब से गरीब के घर में टॉयलेट बनाना है, अब तक 11 करोड़ टॉयलेट बनाए हैं, हमारे मन में है कि गरीब के पास पक्का घर होना चाहिए, अब तक 4 करोड़ पक्के घर बनाकर गरीबों को दिए हैं. लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना है. रेल, रोड और एयरपोर्ट तो जरूरी है ही, लेकिन मेरे लिए जरूरी है मेरे गरीब की डिग्निटी, उसकी गरिमा. जो सामान्य जरूरतें होती हैं वो सभी उसे मिलनी चाहिए, वो किसी के सामने हाथ नहीं फैलाए.
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