असली पावर किसके पास? एलॉन मस्क और ट्रंप को लेकर बहस का दोनों नेताओं ने दिया जवाब
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दक्षिण अफ्रीका में पैदा हुए मस्क फॉर्ब्स मैगजीन के मुताबिक, दुनिया के सबसे अमीर शख्स हैं. 2024 राष्ट्रपति चुनाव में वह ट्रंप के सबसे बड़े समर्थक थे. उन्होंने सार्वजनिक स्तर पर खुलकर ट्रंप का समर्थन और प्रचार किया था.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप चर्चा में बने हुए हैं. उन्होंने शपथ से पहले ही अपनी कैबिनेट का चुनाव कर लिया है. उनकी कैबिनेट के केंद्र में अरबपति एलॉन मस्क हैं. ऐसे में कहा जाने लगा है कि नई अमेरिकी सरकार में असली पावर मस्क के हाथ में होगी लेकिन अब ट्रंप ने इस पर प्रतिक्रिया दी है.
ट्रंप ने एरिजोना में कहा कि मस्क बेहद होनहार और मेहनती शख्स हैं. लेकिन नई सरकार में उनके पास असली पावर नहीं होगी. नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने अगले चुनाव में मस्क के राष्ट्रपति बनने की संभावनाओं पर भी कहा कि मस्क अमेरिका के राष्ट्रपति भी नहीं बनेंगे क्योंकि उनके पास राष्ट्रपति बनने का संवैधानिक अधिकार नहीं है क्योंकि वह इस देश में पैदा नहीं हुए हैं.
ट्रंप ने कहा कि मुझे स्मार्ट लोग पसंद है. मस्क ने बेहतरीन काम किया है. ऐसे भरोसेमंद लोगों की जरूरत है, जो स्मार्ट भी हो. लेकिन अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के लिए इस मुल्क में पैदा होना जरूरी है.
ट्रंप का ये बयान डेमोक्रेट्स की उन आलोचनाओं के बाद आया है, जिनमें कहा जा रहा था कि नई सरकार में मस्क की भूमिका ट्रंप से भी बड़ी होगी. इस पर ट्रंप ने कहा कि ये डेमोक्रेट्स की चाल है. वे दरअसल ये संदेश देना चाहते हैं कि मस्क ही नई सरकार में सर्वेसर्वा होंगे. लेकिन वह (मस्क) राष्ट्रपति नहीं बनने जा रहे. मैं सेफ हूं.
वहीं, मस्क ने स्पष्ट किया है कि शुरुआत से ही उनका समर्थन ट्रंप को रहा है. ट्रंप के कार्यकाल में वह अमेरिका को फिर से महान बनाने की दिशा में काम करते रहेंगे.
बता दें कि दक्षिण अफ्रीका में पैदा हुए मस्क फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक, दुनिया के सबसे अमीर शख्स हैं. 2024 राष्ट्रपति चुनाव में वह ट्रंप के सबसे बड़े समर्थक थे. उन्होंने सार्वजनिक स्तर पर खुलकर ट्रंप का समर्थन और प्रचार किया था.
एलॉन मस्क ने सऊदी अरब के राजनीतिक टिप्पणीकार द्वारा किए गए X पोस्ट को शेयर किया. जिसमें ये आरोप लगाया गया है कि तालेब रेप के आरोप और गंभीर अपराधों में फंसने के बाद 2006 में सऊदी अरब से भाग गया था. दरअसल, 50 वर्षीय संदिग्ध सऊदी डॉक्टर तालेब ए को 2006 में जर्मनी ने शरण दी थी. तालेब को सनकी करार देते हुए मस्क ने कहा कि आरोपी को यूरोपीय देश में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी.
जर्मन शहर मैगडेबर्ग में एक क्रिसमस बाजार में सैकड़ों लोगों पर सऊदी अरब के एक डॉक्टर ने कार चढ़ा दी, जिससे पांच लोगों की मौत हो गई और 200 घायल हो गए. संदिग्ध इस्लामोफोबिक विचारों वाला आदमी है. उसका सोशल मीडिया इसके प्रमाण हैं. वह जर्मनी में दो दशकों से रह रहा था और नशा पुनर्वास केंद्र में साइकेट्रिस्ट के रूप में काम कर चुका है.