![विदेशों से मिला कितनी कीमत का गिफ्ट भारतीय पीएम रख सकते हैं, क्या तोहफों को रिजेक्ट भी किया जा सकता है? जानिए नियम](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202306/afp-000_32aw9mh-sixteen_nine.jpg)
विदेशों से मिला कितनी कीमत का गिफ्ट भारतीय पीएम रख सकते हैं, क्या तोहफों को रिजेक्ट भी किया जा सकता है? जानिए नियम
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अमेरिकी दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां के राष्ट्रपति जो बाइडेन और फर्स्ट लेडी को कई तोहफे दिए, जिनकी खूब चर्चा है. खुद बाइडेन ने पीएम मोदी को बहुत से उपहार दिए, जिसमें अमेरिकी विंटेज कैमरा भी शामिल है. लेकिन तोहफा चाहे कितना ही खूबसूरत हो, क्या ये दोनों ही लीडर उन्हें अपने पास रख सकेंगे? जानिए, क्या कहता है गिफ्ट डिप्लोमेसी का नियम.
पीएम मोदी अपनी स्टेट विजिट के दौरान व्हाइट हाउस भी पहुंचे. राजकीय भोज से पहले उनके और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच तोहफों का लेन-देन हुआ. एक से बढ़कर एक ये गिफ्ट्स सुर्खियों में हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि पसंद आने पर भी ये तोहफे अपने पास रखे जा सकें. कम से कम गिफ्ट डिप्लोमेसी का कायदा तो यही बताता है.
क्या है गिफ्ट डिप्लोमेसी?
दो देशों के बीच तोहफों का लेन-देन काफी पुराना है. ये उनके बीच की दोस्ती का प्रतीक है. पहले देशों के बीच गिफ्ट्स देना या स्वीकार करना वर्जित था. माना जाता था कि इससे गिफ्ट लेने वाले को हरदम देने वाले से दबकर रहना होता है, खासकर अगर गिफ्ट काफी कीमती हो. आगे चलकर डिप्लोमेटिक गिफ्ट के मायने बदले. सभी देश मानने लगे कि तोहफों के लेनदेन से रिश्ते मजबूत होते हैं. ब्रिटिश रूल के दौरान गिफ्ट डिप्लोमेसी काफी मजबूत हो गई.
क्यों बरतनी पड़ती है सावधानी?
कई बार तोहफा दिया तो अच्छे इरादे से जाता है, लेकिन लेने वाले को वो पसंद नहीं आता. निजी रिश्तों में इससे खास फर्क नहीं पड़ता, लेकिन देशों के बीच गलत तोहफा, गलत संदेश देता है. अगर दो देशों के बीच पहले से तनाव चला आ रहा हो तब इससे और दूरी आ सकती है.
ऐसा ही कुछ चीन और ताइवान के बीच हुआ. साल 2008 में चीन ने ताइवान को पांडा का एक जोड़ा गिफ्ट करना चाहा. चीनी भाषा में इनके नाम का मतलब था- एकता. हालांकि ताइवानियों को ये बात एकदम पसंद नहीं आई. उन्होंने इस गिफ्ट को रिजेक्ट कर दिया. इसी तरह साल 2012 में अमेरिकी राष्ट्रपति को ब्रिटिश टेबल टेनिस दी गई. बाद में पता लगा कि ये मेड-इन-चाइना थी. जाहिर है, कि गिफ्ट की अहमियत तुरंत कम हो गई.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात ने दोनों नेताओं के बीच गहरी मित्रता को दर्शाया. ट्रंप ने मोदी को 'आई मिस यू' कहकर स्वागत किया, जबकि मोदी ने दोनों देशों के संबंधों को '1+1=111' बताया. दोनों नेताओं ने व्यापार, सुरक्षा और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की. ट्रंप ने मोदी को 'महान नेता' और 'खास व्यक्ति' बताया. मोदी ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा. दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की और शांति की आवश्यकता पर जोर दिया.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात में दोस्ती और व्यापार पर चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की तारीफ की, लेकिन व्यापार मुद्दों पर तनाव बरकरार रहा. ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की, जो भारत के लिए चुनौती हो सकती है. मुलाकात में एफ-35 फाइटर जेट्स और तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर भी चर्चा हुई.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग पर गहन चर्चा की गई. इस चर्चा में अमेरिका ने भारत को F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट्स, स्ट्राइकर कॉम्बैट व्हीकल्स और जावलिन मिसाइल्स की पेशकश की. विशेषज्ञों का विचार है कि ये हथियार भारत की आत्मनिर्भरता नीति के सटीक अनुरूप नहीं हैं.
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रूस-यूक्रेन जंग को खत्म करने का ब्लू प्रिंट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगभग तैयार कर लिया है. इससे पहले ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यू्क्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से फोन पर बातचीत की. ट्रंप चाहते हैं कि नाटो में शामिल होने की जिद्द यूक्रेन छोड़ दे लेकिन जेलेंस्की ने अपने देश की सुरक्षा का हवाला दिया है.
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PM नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई मुलाकात में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. आतंकवाद से निपटने में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बन गई, जिसमें ठाकुर हसन राणा के प्रत्यर्पण का विषय भी शामिल था. फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में भारत-अमेरिका के सहयोग पर भी वार्ता हुई, जहाँ अमेरिकी बाजार में भारतीय जेनेरिक दवाओं की भारी मांग है.