वाराणसी: अब हो सकेगी ज्ञानवापी मस्जिद की वीडियोग्राफी, कोर्ट ने पुराने आदेश को रखा जारी
AajTak
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी का मामला वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में चल रहा है. कोर्ट ने मंगलवार को आदेश सुनाया.
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित मां श्रृंगार गौरी मंदिर मसले पर स्थानीय कोर्ट ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने श्रृंगार गौरी समेत अन्य विग्रहों और स्थानों की वीडियोग्राफी और कमीशन के संबंध में अपने पुराने आदेश को जारी रखा है. बता दें कि इस मामले में जिला प्रशासन और वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट की ओर से कोर्ट में सुरक्षा और शांति व्यवस्था का हवाला देकर कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई थी.
मामले में सुनवाई के बाद कोर्ट ने पुराने ही आदेश को दोहराया और कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई का आदेश जारी किया है. कोर्ट ने कहा कि ईद के बाद कमीशन कार्रवाई के दौरान वकील कमिश्नर, पक्षकार और उनके अधिवक्ता के अलावा एक- एक सहयोगी उपस्थित हो सकते हैं. इसके साथ ही ईद के बाद और 10 मई से पहले सर्वे करके रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने का भी आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई अब 10 मई को होगी.
बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी का मामला वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में चल रहा है. जज दिवाकर ने 18 अगस्त 2021 और फिर 8 अप्रैल 2022 के आदेश को जारी रखा. मंगलवार को कोर्ट ने श्रृंगार गौरी समेत ज्ञानवापी मस्जिद की बैरिकेडिंग के अंदर तक करीब आधा दर्जन स्थानों पर वीडियोग्राफी और कमीशन की कार्रवाई के आदेश को यथावत फिर से जारी कर दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा-
'प्रतिवादीगण द्वारा प्रस्तुत प्रार्थनापत्र को देखने से स्पष्ट है कि इस बात पर आपत्ति नहीं की गई है कि कमीशन की कार्रवाई ना हो. बल्कि उनके द्वारा मुख्य दो बिंदु उठाए गए हैं. इसमें कितने व्यक्तियों के प्रवेश की अनुमति दी जाए और कमीशन कार्रवाई के दौरान मौके का स्थल क्या होगा? कमीशन के स्थल के बाबत वादीगण द्वारा प्रस्तुत प्रार्थनापत्र 11 ग में स्पष्ट वर्णन किया गया है कि किन-किन चीजों का कमीशन होगा. जहां तक प्रतिवादीगण का यह प्रश्न कि बैरेकेटिंग के अंदर मस्जिद में जाने वाले गेट का उपयोग मुसलमान और सुरक्षाकर्मी ही कर सकते हैं- सत्य प्रतीत नहीं होता है. क्योंकि बहस के दौरान अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद के अधिवक्ता द्वारा कहा गया है कि मस्जिद के अंदर किसी भी धर्म का व्यक्ति प्रवेश कर सकता है. किसी भी व्यक्ति को इस कारण से मस्जिद में जाने से इन्कार नहीं किया जा सकता कि वह मुस्लिम धर्म का नहीं है, जहां तक उभयपक्ष की तरफ से कितने-कितने व्यक्ति जाएंगे, इस संबंध में यह उचित होगा कि उभयपक्षकारों के साथ-साथ उनके अधिवक्तागण और अधिवक्तागण अपने साथ एक-एक सहयोगी रख सकेंगे और अधिवक्ता कमिश्नर और कमीशन कार्य में सहयोग करने वाले व्यक्ति ही मात्र आ-जा सकेंगे.
प्रार्थनापत्र 42 ग इस आशय के साथ निस्तारित किया जाता है कि न्यायालय के पूर्ववर्ती आदेश के अनुक्रम में यह आदेश माना जाएगा. न्यायालय के पूर्ववर्ती आदेश के अनुक्रम में वकील कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को नियमानुसार रिट परवाना जारी है. वकील कमिश्नर उभयपक्षों की उपस्थिति में प्रार्थनापत्र 11ग में वर्णित तथ्यों के प्रकाश में नियत तिथि तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे. बाद में पैरवी रिट परवाना जारी हो. कमीशन कार्रवाई के दौरान पक्षकार और उनके अधिवक्तागण और अधिवक्तागण के एक-एक सहयोगी के रूप में तथा एडवोकेट कमिश्नर और कमीशन कार्रवाई करने वाले लोग प्रवेश कर सकेंगे, लेकिन यह कमीशन कार्रवाई ईद-उल-फितर (ईद) त्योहार के चलते 03 मई के बाद ही की जाएगी. पत्रावली कमीशन रिपोर्ट की सुनवाई 10 मई को पेश हो.'
मालूम हो कि कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई के ठीक एक दिन पहले वाराणसी पुलिस और जिला प्रशासन ने इस पर रोक लगाने की मांग की थी. इसके लिए कोर्ट में सुरक्षा व्यवस्था का हवाला दिया गया था. इस पर कोर्ट ने फिलहाल वीडियोग्राफी और कमीशन की कार्रवाई को टाल दिया था और आदेश को सुरक्षित रख लिया था. जिसके बाद कोर्ट ने मंगलवार को अपने पुराने आदेश को जारी कर दिया. इसके साथ ही कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई को भी अनुपालन कराने के लिए ईद के बाद और 10 मई से पहले करने का आदेश दिया है.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.