लोकसभा में स्पीकर फाइनल, अब डिप्टी स्पीकर पद पर सस्पेंस... क्या INDIA ब्लॉक की मांग मानेगा NDA?
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डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष के लिए होड़ का विषय है. जयराम रमेश ने कहा कि विपक्ष लड़ाई के लिए तैयार है, लेकिन यह देखना बाकी है कि क्या सरकार नरम पड़ने जा रही है और एक बार फिर विपक्ष को राजनीतिक हिसाब चुकता करने का मौका देगी.
लोकसभा में बुधवार को ओम बिरला को स्पीकर चुन लिया गया. स्पीकर की कुर्सी को लेकर लड़ाई खत्म होने के बाद अब अगला लक्ष्य डिप्टी स्पीकर है. डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष के लिए होड़ का विषय है. जब इसे लेकर NDA और इंडिया गठबंधन के बीच चर्चा हुई तो कांग्रेस ने इस बारे में कुछ नहीं बोला. शुरू में दोनों पक्षों के शीर्ष नेताओं ने इस मामले पर बातचीत की, लेकिन स्थिति तब बिगड़ गई जब सरकार ने डिप्टी स्पीकर का पद इंडिया गठबंधन को देने के लिए सहमति नहीं जताई. यह विवाद स्पीकर के पद को लेकर दोनों पक्षों के बीच सीधी टक्कर के साथ चरम पर पहुंच गया. क्योंकि विपक्ष ने अपनी बात रखने के लिए अपनी दावेदारी पेश की.
अब पहले मुकाबले के बाद दूसरे दौर की लड़ाई और भी तीखी हो सकती है. इंडिया गठबंधन को लगता है कि उसके पास संख्याबल है, इसलिए यह पद विपक्ष को मिलना चाहिए. कांग्रेस सबसे वरिष्ठ सांसद के सुरेश की उम्मीदवारी के लिए फिर से जोर लगाएगी. उसे लगता है कि इस बार यह पद हासिल करना उसके लिए बेहतर होगा.
टीडीपी से हो सकता है कोई उम्मीदवार पार्टी इस बात से भी चिंतित है कि 17वीं लोकसभा में यह पद खाली रहा और डिप्टी स्पीकर की मांग बार-बार अनसुनी कर दी गई. इसलिए पार्टी सरकार को इस पद के लिए स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का मौका नहीं देना चाहती. इस मुद्दे पर कोई सहमति न बनने के कारण अटकलें लगाई जा रही हैं कि भाजपा अपने सबसे बड़े सहयोगी टीडीपी से किसी उम्मीदवार को मैदान में उतार सकती है. अध्यक्ष अगले कुछ दिनों में इस पद के लिए कोई फैसला ले सकते हैं, लेकिन पहले उन्हें यह तय करना होगा कि वह डिप्टी स्पीकर रखेंगे या नहीं.
विपक्ष द्वारा सरकार पर निशाना साधने के बावजूद सरकार इस मामले को दबा रही है. सरकार के शीर्ष सूत्रों ने इंडिया टुडे से पुष्टि की है कि डिप्टी स्पीकर पद पर कोई चर्चा नहीं हुई है और जब पार्टी और एनडीए सहयोगियों के बीच कोई फैसला हो जाएगा, तभी इसे विपक्ष के सामने रखा जाएगा.
हालांकि, कांग्रेस इस मामले को टालने के मूड में नहीं है. संविधान की एक कॉपी से अनुच्छेद 93 पढ़ते हुए जयराम रमेश ने कहा कि ‘लोकसभा यथाशीघ्र अपने दो सदस्यों को क्रमशः अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में चुनेगी’ और जब भी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद रिक्त होता है, तो सदन किसी अन्य सदस्य को अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के रूप में चुन लेगा.
उपसभापति पद के लिए दावा करेगा विपक्ष जयराम रमेश ने कहा कि इसलिए हम निश्चित रूप से उपसभापति पद के लिए दावा करेंगे, चाहे वह भाजपा का उम्मीदवार हो या उसके सहयोगी दलों का, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. अनुच्छेद 93 इस बारे में बहुत स्पष्ट है कि लोकसभा में एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष होना आवश्यक है, हालांकि पिछली बार सरकार ने इस नियम का उल्लंघन किया जो पूरी तरह से असंवैधानिक है.
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