लोकसभा चुनाव में दूरी तो पाट दी, क्या विधानसभा चुनाव में फिनिशिंग लाइन भी पार कर जाएंगे तेजस्वी?
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बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे और राज्य में वोटिंग के आंकड़ों पर नजर डालें तो कुछ दिलचस्प चीजें निकलकर सामने आ रहीं हैं. चुनावी परिणाम के इन पहलुओं का असर आने वाले समय में बिहार की राजनीति पर तो दिखेगा ही. इसके अलावा अगले साल राज्य विधानसभा चुनाव में इस पैटर्न की छाप सूबे की चुनावी चाल पर अपना असर छोड़ती नजर आ सकती है.
लोकसभा इलेक्शन रिजल्ट और खासकर उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजों ने जहां एक ओर कई लोगों को हैरत में डाला तो वहीं दूसरी ओर बिहार में INDIA ब्लॉक के खाते में गई 10 सीटों के आंकड़े (कांग्रेस नेता पप्पू यादव को पूर्णिया में मिली जीत को जोड़कर) भी थोड़े चौंकाने वाले रहे. चुनावी बहस में तो भाजपा को उत्तर प्रदेश में एक तरफा बढ़त थी. वहीं बिहार में तेजस्वी यादव की 200 से अधिक चुनावी रैलियों, उनकी जनसभाओं में रोजगार के मुद्दे पर कतार में खड़े युवाओं और सोशल मीडिया पर हनक को देखते हुए, कई राजनीतिक जानकार RJD की (INDIA ब्लॉक) मौजूदा स्थिति से इतर थोड़ी और सीटें जीतने का आकलन लगाए बैठे थे. खैर, अब जनादेश सबके सामने है और वोटर के फैसले में क्या संदेश छिपा है, इसे समझने-बूझने और आंकने का समय है.
आंकड़े झूठ नहीं बोलते. नतीजों की समीक्षा हो या फिर किसी भी तरह का आकलन, इसमें सबसे अधिक महत्तव जिस चीज का होता है, वो है डेटा. आंकड़ों के आकलन में आगे का रोडमैप भी छिपा होता है. राजनीतिक पार्टियां नतीजों की समीक्षा में जुट गईं हैं. बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे और राज्य में वोटिंग के आंकड़ों पर नजर डालें तो कुछ दिलचस्प चीजें निकलकर सामने आ रही हैं. चुनावी परिणाम के इन पहलुओं का असर आने वाले समय में बिहार की राजनीति पर तो दिखेगा ही. इसके अलावा अगले साल राज्य के विधानसभा चुनाव में इस पैटर्न की छाप सूबे के मुखिया नीतीश कुमार, राज्य और केंद्र में उनके सहयोग से सत्ता में बनी हुई भाजपा और RJD नेता तेजस्वी यादव की चुनावी चाल पर अपना असर छोड़ती नजर आएगी.
बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 और 2019 के नतीजों के बीच अगर तुलना करें तो NDA और INDIA ब्लॉक के प्रदर्शन में एक बारीक अंतर निकल कर बाहर आता है. यहां यह जान लेना जरूरी है कि दोनों ही चुनावों में दोनों ही गठबंधन का स्वरूप लगभग एक जैसा ही था. एक-आध छोटे दलों को अगर रहने दें तो बिहार में आज के INDIA ब्लॉक और 2019 के महागठबंधन का स्वरूप लगभग एक समान ही था. यही कहानी NDA खेमे की भी थी. 2024 और 2019 के चुनावी आकड़ों की तुलना करना इसलिए भी दिलचस्प है कि लोकसभा चुनाव और बिहार विधानसभा चुनाव के बीच करीब 18 महीने का ही अंतर होता है. जबकि दोनों चुनावों के वोटिंग पैटर्न में काफी बदलाव भी देखने को मिलता है.
2019 के लोकसभा चुनाव में NDA को बिहार में 40 में 39 सीटें मिली थीं जबकि महागठबंधन मोदी लहर में महज एक सीट पर सिमट कर रह गया था. इसके विपरीत 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने अच्छी वापसी की. हालांकि, वो बहुमत से करीब 10 सीटें पीछे रह गय था. उस चुनाव में NDA को 125 तो महागठबंधन को 110 सीटें मिली थीं. 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 का है. इस हिसाब से देखें तो लोकसभा चुनाव के मुकाबले बिहार की जनता ने विधानसभा के लिए अलग तरह से मतदान किया. यहां ध्यान देने वाली बात यह भी कि आम चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी का चेहरा सामने था जबकि राज्य के चुनाव में जनता नीतीश कुमार और राज्य में उनके साथ मिलकर सत्ता चला रही भाजपा के काम-काज पर अपना जनादेश देने निकली थी.
अब एक बार फिर लोकसभा चुनाव में बिहार की जनता का फैसला सामने है. साथ ही अब आगे खड़ा है सूबे में 2025 में होने वाला विधानसभा का इलेक्शन. तो चलिए, बिहार लोकसभा के चुनावी आंकड़ों के कुछ पहलुओं को बारीकी से देखने की कोशिश करते हैं. मैं आपके सामने कुछ आकड़ें और इन आंकड़ों की तुलना जब 2019 के लोकसभा चुनाव से की गई, तो जो बिंदु निकलकर सामने आए वो रखूंगा. इन चुनावी डेटा को आप अपने अनुसार पढ़िए, समझिए और बिहार की सियासत में आगे क्या घट सकता है, उसका आकलन कीजिए.
1. लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार में NDA को 30 सीटें मिलीं जबकि INDIA ब्लॉक महज 9 सीटें जीतने में सफल हो सका. एक सीट कांग्रेस नेता पप्पू यादव ने पूर्णिया से निर्दलीय लड़कर अपने नाम की. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को राज्य में 39 सीटें मिली थीं जबकि INDIA ब्लॉक (तब महागठबंधन) सिर्फ 1 सीट पाने में सफल रहा था. इसके ठीक बाद जब 2020 में बिहार में विधानसभा के चुनाव हुए थे तब NDA को 125 तो वहीं महागठबंधन के हाथ 110 सीट लगी थी.
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