लग्जरी हैंडबैंग, हजारों डॉलर में ब्रिक्री, लेकिन बनाने वालों को चिल्लर, जानिए बड़े ब्रांड्स के शोषण की कहानी
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जांच में पता चला कि लग्जरी ब्रांड्स हजारों डॉलर में बेचे जाने वाले हैंडबैग बनाने के लिए ठेकेदार वाली कंपनी को बहुत कम राशि का भुगतान करते हैं. मामला जब कोर्ट में पहुंचा तो तब इसका खुलासा हुआ. इसके बाद कोर्ट ने इसे लेकर बहुत अहम फैसला सुनाया.
ब्रांडेड और लग्जरी सामान की कीमतें कितनी अधिक होती है, यह किसी से छिपा नहीं है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आप जिस लग्जरी ब्रांड को खरीद रहे हैं वो श्रमिकों के शोषण से जुड़ा हो सकता है. ऐसा ही एक मामला इटली से आया है, जहां हाल ही में हई एक जांच से पता चला है कि दो सबसे प्रमुख लक्जरी फैशन हाउस- डायर (Dior) और जियोर्जियो अरमानी (Giorgio Armani) हजारों डॉलर की कीमत में बिकने वाले हैंडबैग बनाने के लिए आश्चर्यजनक रूप से बहुत कम राशि का भुगतान करते हैं.
डायर का मामला ऐसे आया सुर्खियों में इस बात का खुलासा तब हुआ जब इन उन उप ठेकेदार वाली फर्म्स की जांच की गई जो इन कंपनियों के लिए काम करते हैं. दरअसल इटली के मिलान में यहां के एक अभियोजक पिछले कुछ महीनों से LVMH की सहायक कंपनी डायर (Dior) द्वारा तीसरे पक्ष से हुए लेन-देन की जांच कर रहे हैं. रॉयटर्स के अनुसार, इन कंपनियों को श्रमिकों का शोषण करते हुए पाया गया, जो खुदरा मूल्य की तुलना में बहुत ही कम कीमत पर एक बैग तैयार करती हैं.
अधिकारियों द्वारा जब दस्तावेंजों की जांच की गई तो पता चला कि डायर ने एक सप्लायर को लगभग 2,780 डॉलर में बिकने वाले बैग बनाने के लिए केवल 57 डॉलर का भुगतान किया. इन लागतों में चमड़े जैसे कच्चे माल शामिल नहीं हैं. अभियोजन पक्ष ने उल्लेख किया कि डायर ने "ठेकेदारी वाली कंपनियों की वास्तविक कार्य स्थितियों या तकनीकी क्षमताओं की जांच करने के लिए उचित नियम" लागू नहीं किए.
मार्च और अप्रैल में की गई जांच के दौरान, इस बात के सबूत सामने आए कि चौबीसों घंटे सप्लाई की मांग को पूरा करने के लिए कर्मचारी फैक्ट्री में ही सो रहे थे. बिजली की खपत के आंकड़ों से यह भी पता चला कि रात के समय और छुट्टियों के दौरान भी काम किया जा रहा था.
चीनी स्वामित्व वाली इन कंपनियों में अधिकांश कर्मचारी चीन से थे. जांच में पाया गया कि दो कर्मचारी अवैध अप्रवासी थे, और सात अन्य के पास आवश्यक दस्तावेज नहीं थे. चिंताजनक बात यह है कि उत्पादन में तेजी लाने के लिए मशीनों पर लगे सुरक्षा उपकरण हटा दिए गए थे.
जियोर्जियो अरमानी भी शामिल जांच जियोर्जियो अरमानी के ठेकेदारों तक पहुंची. डायर की तरह, अरमानी पर भी अपने सप्लायर की उचित देखरेख करने में विफल रहने का आरोप लगाया गया. दस्तावेजों से पता चलता है कि अरमानी ने ठेकेदारों को उन उत्पादों के लिए प्रति बैग 99 डॉलर का भुगतान किया, जो स्टोर में 1,900 डॉलर से अधिक की कीमत में बिके.
1991 में गल्फ वॉर की समाप्ति ने ईरान और इज़रायल के बीच खुली दुश्मनी के युग की शुरुआत की. सोवियत संघ के पतन और एकमात्र महाशक्ति के रूप में अमेरिका के उदय ने इस क्षेत्र को और अधिक पोलराइज्ड कर दिया. वहीं, ईरान और इज़रायल ने खुद को लगभग हर प्रमुख जियो-पॉलिटिकल विमर्श में एक दूसरे के खिलाफ पाया. 1980 के दशक में शुरू हुआ ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम 1990 के दशक से विवाद का केंद्र बन गया.