
रूस के हमले के बाद यूक्रेनी सेना में दोगुनी हुई महिला सैनिकों की संख्या, हालात बिगड़े तो उठा लिए हथियार
AajTak
यूक्रेन द्वारा 1991 में सोवियत संघ से स्वतंत्रता की घोषणा के बाद से यूक्रेन में महिलाओं ने आर्म्ड फोर्सेस में अपनी सेवा दी है. लेकिन 2014 में युद्ध की शुरुआत तक वह मुख्य रूप से सहायक भूमिकाओं में थीं. इसके बाद उन्होंने 2016 में कॉमबेट रोल्स (लड़ाकू भूमिकाओं) में काम करना शुरू किया और 2022 में सभी सैन्य भूमिकाओं को उनके लिए खोल दिया गया.
रूस- यूक्रेन युद्ध को लगभग एक साल हो चुके हैं. इस बीच मालूम हुआ है कि यूक्रेन की सशस्त्र बलों में साल 2014 के बाद से हजारों महिलाएं स्वेच्छा से शामिल हो गई हैं. ये वह समय था जब रूस ने पूर्वी यूक्रेन में क्रीमिया और क्षेत्रों पर कब्जा करना शुरू कर दिया था. पिछले नौ वर्षों में, फरवरी 2022 में रूस के पूरी तरह आक्रमण के बाद यूक्रेनी सेना में सेवा करने वाली महिलाओं की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है.
देश द्वारा 1991 में सोवियत संघ से स्वतंत्रता की घोषणा के बाद से यूक्रेन में महिलाओं ने आर्म्ड फोर्सेस में अपनी सेवा दी है. लेकिन 2014 में युद्ध की शुरुआत तक वह मुख्य रूप से सहायक भूमिकाओं में थीं. इसके बाद उन्होंने 2016 में कॉमबेट रोल्स (लड़ाकू भूमिकाओं) में काम करना शुरू किया और 2022 में सभी सैन्य भूमिकाओं को उनके लिए खोल दिया गया.
हालांकि, Non- combat roles (गैर-लड़ाकू भूमिकाओं) में कई महिलाएं, जैसे कि मेडिक्स, हथियारों को फायर करने वाले उनके पुरुष और महिला सहयोगियों के समान ही खतरों और कठिनाइयों के संपर्क में हैं. यूक्रेन की उप रक्षा मंत्री हन्ना मालियार के अनुसार, 2022 की गर्मियों तक सशस्त्र बलों द्वारा 50,000 से अधिक महिलाओं की भर्ती हुई थी, जिसमें लगभग 38,000 वर्दी में सेवारत थीं. महिलाएं अब फ्रंट लाइन की इकाइयों के साथ हैं. हन्ना मालियार ने कहा कि हालांकि, सशस्त्र बलों में महिलाओं को रूसियों द्वारा युद्धबंदी के रूप में लिया जा रहा है. यूक्रेनी डॉक्टर यूलिया पेवस्का को तीन महीने के लिए कैद किया गया था.
पितृसत्तात्मक सोच बदल रही है
यूक्रेन मजबूत पितृसत्तात्मक परंपराओं वाला देश है, खासकर रक्षा क्षेत्र में. लेकिन इस युद्ध के दौरान यूक्रेन की महिला सैनिकों को यूक्रेनी समाज और देश के राजनीतिक नेतृत्व द्वारा तेजी से स्वीकार किया जा रहा है. सैन्य और समाज में उनके योगदान की रेटिंग में महिलाओं की उपस्थिति की मान्यता का एक संकेत तब था जब 2021 में यूक्रेन के पुरुष और महिला रक्षकों के दिन के रूप में राष्ट्रीय रक्षक दिवस का नाम बदल दिया गया था.
बदलाव के और भी संकेत

पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने गुरुवार को बलूचिस्तान के दौरे पर पहुंचे हैं, जहां उन्होंने कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की. पाकिस्तानी सेना का दावा है कि उसने रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर लिया है तो दूसरी ओर बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) का कहना है कि ISPR द्वारा किए गए दावे झूठे हैं और पाक हार को छिपाने की नाकाम कोशिश कर रहा है.

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.