![रूस की तरफ से लड़ रहे नॉर्थ कोरियाई सैनिक, क्यों दुनिया से कटा हुआ ये देश मॉस्को के साथ दिखता रहा?](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202410/670cce9e49572-zelensky-accuses-of-north-korea-sending-army-to-russia-amid-russia-ukraine-war-145608670-16x9.jpg)
रूस की तरफ से लड़ रहे नॉर्थ कोरियाई सैनिक, क्यों दुनिया से कटा हुआ ये देश मॉस्को के साथ दिखता रहा?
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यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोदिमीर जेलेंस्की ने नॉर्थ कोरिया पर रूस को सैन्य मदद देने का आरोप लगाया. इस तरह की बातें पहले भी आ चुकी हैं. यूक्रेन और रूस युद्ध के बीच बहुत से देश यूक्रेन के पाले में हैं, वहीं रूस के पीछे कम ही लोग खड़े हैं. उत्तर कोरिया को उनमें से एक माना जाता रहा.
नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किंग जोंग को आक्रामकता और अलग-थलग रहने की आदत के लिए जाना जाता है. बहुत सारी पाबंदियों से घिरा ये देश रूस के हरदम साथ रहा. इसका एक उदाहरण रूस-यूक्रेन युद्ध में भी दिख रहा है. कथित तौर पर उत्तर कोरिया यूक्रेन युद्ध में अपनी भागीदारी बढ़ा रहा है, और रूस की मदद कर रहा है.
दक्षिण कोरियाई एजेंसी द वॉर जोन की एक रिपोर्ट में ये दावा किया गया. इसके अनुसार, न केवल उत्तर कोरियाई सैनिक, बल्कि बड़े अधिकारी भी युद्ध में मॉस्को की तरफ से काम कर रहे हैं. वे छिपकर नहीं, बल्कि अपनी वर्दी के साथ ही जंग में शामिल हो रहे हैं. ये अपनी तरह का अलग मामला है. वैसे तो यूक्रेन को भी बहुत से देश मदद कर रहे हैं, उसे हथियार-सेना दे रहे हैं, लेकिन ये सब उतना खुलेआम नहीं बल्कि आड़ में हो रहा है. वहीं नॉर्थ कोरिया लगभग खुलकर रूस के पक्ष में दिखता रहा.
क्या ये केवल एक विचारधारा की वजह से है, या कुछ और भी है, जो दोनों के बीच बॉन्डिंग बनाए हुए है?
कोल्ड वॉर के दौरान बना रिश्ता
रूस और उत्तर कोरिया के बीच संबंधों की जड़ें शीत युद्ध के समय पनपीं, जब तत्कालीन सोवियत संघ ने उत्तर कोरिया को आजादी दिलाने में मदद दी. इसके बाद से रिश्ता गहराता रहा. दोनों के बीच कई कॉमन चीजें हैं. दोनों ही कम्युनिस्ट विचारधारा वाले देश रहे. इस बात ने उन्हें जोड़ने में कुछ वैसा ही काम किया, जैसा एक पार्टी को पसंद करने वाले दो आम लोगों के साथ होता है. इसी तार के साथ कई और तार जुड़ते चले गए.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात ने दोनों नेताओं के बीच गहरी मित्रता को दर्शाया. ट्रंप ने मोदी को 'आई मिस यू' कहकर स्वागत किया, जबकि मोदी ने दोनों देशों के संबंधों को '1+1=111' बताया. दोनों नेताओं ने व्यापार, सुरक्षा और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की. ट्रंप ने मोदी को 'महान नेता' और 'खास व्यक्ति' बताया. मोदी ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा. दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की और शांति की आवश्यकता पर जोर दिया.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात में दोस्ती और व्यापार पर चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की तारीफ की, लेकिन व्यापार मुद्दों पर तनाव बरकरार रहा. ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की, जो भारत के लिए चुनौती हो सकती है. मुलाकात में एफ-35 फाइटर जेट्स और तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर भी चर्चा हुई.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग पर गहन चर्चा की गई. इस चर्चा में अमेरिका ने भारत को F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट्स, स्ट्राइकर कॉम्बैट व्हीकल्स और जावलिन मिसाइल्स की पेशकश की. विशेषज्ञों का विचार है कि ये हथियार भारत की आत्मनिर्भरता नीति के सटीक अनुरूप नहीं हैं.
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रूस-यूक्रेन जंग को खत्म करने का ब्लू प्रिंट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगभग तैयार कर लिया है. इससे पहले ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यू्क्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से फोन पर बातचीत की. ट्रंप चाहते हैं कि नाटो में शामिल होने की जिद्द यूक्रेन छोड़ दे लेकिन जेलेंस्की ने अपने देश की सुरक्षा का हवाला दिया है.
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PM नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई मुलाकात में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. आतंकवाद से निपटने में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बन गई, जिसमें ठाकुर हसन राणा के प्रत्यर्पण का विषय भी शामिल था. फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में भारत-अमेरिका के सहयोग पर भी वार्ता हुई, जहाँ अमेरिकी बाजार में भारतीय जेनेरिक दवाओं की भारी मांग है.