रूस का डिटेंशन कैंप में रखे जाते हैं पुतिन के विरोधी, जानिए क्यों होती रही है नाजी कैंपों से तुलना
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आलोचक एलेक्सी नवलनी जेल से लापता हैं. कैदियों की लिस्ट से भी उनका नाम गायब बताया जा रहा है. कथित तौर पर उन्हें पीनल कॉलोनी से कहीं और भेज दिया गया. ये वही कॉलोनी है, जिसकी तुलना नाजियों के डिटेंशन कैंप से होती रही है. यहां कैदियों को भीषण यंत्रणा दी जाती थी.
रूस के बारे में माना जाता है कि उस देश में कोई विपक्ष नहीं. जो भी सत्ता में आएगा, वो अगले कई सालों के लिए विरोधियों को दबाकर रखेगा. अगर कोई आवाज उठाने की कोशिश करे, तो वो या तो गायब हो जाता है या फिर संदिग्ध हालातों में मौत हो जाती है. ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जब पुतिन के कार्यकाल में विरोधी गायब हो गए. अब एलेक्सी नवलनी के बारे में यही कहा जा रहा है.
पुतिन के धुर विरोधी नवलनी को कथित तौर पर चरमपंथी समूह बनाने के लिए पीनल कॉलोनी यानी एक खास तरह की जेल में रखा गया था. दूसरे वर्ल्ड वॉर के समय रूस पर आरोप लगा कि वो दुश्मन सेना और आम नागरिकों को एक जेल में डाल रही है. यहां बंदियों से इतनी मेहनत करवाई जाती थी कि वे दम तोड़ दें.
साइबेरिया से सटे इन कैंपों में न तो बर्फबारी से बचाने का इंतजाम था, न ही भरपेट खाना और इलाज मिलता था. इस कैंप को गुलाग कहा गया. युद्ध के बाद गुलाग बंद हो गया, लेकिन उसका नया रूप आ गया. इसे ही पीनल कॉलोनी कहते हैं.
यात्रा के दौरान ही बीमार पड़ जाते हैं कैदी
रूस में 800 से ज्यादा पीनल कॉलोनीज हैं. ये बर्फीली सीमाओं से सटे हुए हैं, जहां तक जाने के लिए कोई खास सुविधा नहीं है. अक्सर राजनैतिक बंदियों को वहां भेजा जाता है. इस तक पहुंचने का सफर भी अपने-आप थकाने वाला होता है. एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, कॉलोनी तक पहुंचने में एक महीने का समय भी लग सकता है.
ये यात्रा ट्रेन, बस, बर्फ हर जगह से होते हुए गुजरती है. इस दौरान ही कई कैदी बीमार पड़ जाते हैं. महिलाओं की स्थिति और खराब है. उनके लिए 40 के करीब ही कॉलोनीज हैं, जो रूस के बर्फीले इलाकों में हैं. वहां सफर के दौरान वे दुनिया से लगभग कट जाती हैं.
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