राष्ट्रपति के अभिभाषण में मणिपुर संकट का जिक्र नहीं, कांग्रेस ने की आलोचना
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मणिपुर कांग्रेस के अध्यक्ष देवब्रत ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री ने भी मणिपुर संकट पर काफी समय तक चुप्पी साधे रखी है. उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी के नए कार्यकाल की शुरुआत होने के साथ ही राज्य के लोग केंद्र सरकार से नई पहल की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण में मणिपुर को शामिल नहीं किए जाने की आलोचना की.
मणिपुर कांग्रेस ने 27 जून को संसद के जॉइंट सेशन के दौरान दिए गए राष्ट्रपति के अभिभाषण की आलोचना की, जिसमें कथित रूप से मणिपुर संकट पर चर्चा नहीं की गई थी. स्थानीय कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष देवब्रत ने मणिपुर संकट को शामिल न किए जाने पर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य को केंद्र सरकार से बेहतर व्यवहार मिलना चाहिए.
मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवब्रत ने राष्ट्रपति द्वारा इस तरह के गंभीर मुद्दे का जिक्र न किए जाने पर सवाल उठाया और इस बात पर जोर दिया कि कि मणिपुर में संकट कम होने के बजाय और बढ़ रहा है. उन्होंने राज्य सरकार द्वारा किए गए सामान्य स्थिति के दावों का भी खंडन किया.
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मणिपुर के 70 फीसदी मतदान को नजरअंदाज किया गया
देवब्रत ने आगे बताया कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में कश्मीर घाटी के बारामुल्ला क्षेत्र में मतदान की सराहना की गई, जबकि चुनौतीपूर्ण समय में मणिपुर के 70 फीसदी से ज्यादा मतदान को नजरअंदाज कर दिया गया. इस चुनिंदा सराहना को मणिपुर के लोग अपमान के तौर पर देखते हैं, और कहा कि यह राज्य के साथ सौतेला व्यवहार है.
कांग्रेस ने विवादों का वास्तविक समाधान नहीं देखा
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
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