राजा भैया और पत्नी भानवी के तलाक मामले में आज नहीं होगी सुनवाई! जानिए क्यों?
AajTak
28 साल से शादी के बंधन में बंधे बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने नवंबर 2022 में अपनी पत्नी भानवी कुमारी सिंह के खिलाफ मानसिक क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक की याचिका दायर की थी. फैमिली कोर्ट ने भानवी कुमारी सिंह को आज व्यक्तिगत रूप से या वकील के माध्यम से पेश होने के लिए समन जारी किया था.
उत्तर प्रदेश की कुंडा सीट से बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के तलाक मामले में आज सुनवाई नहीं होगी. अब 23 मई को सुनवाई होगी. दरअसल, दिल्ली की जिस साकेत फैमिली कोर्ट में आज सुनवाई होनी है, उसके जज छुट्टी पर हैं. राजा भैया ने नवंबर 2022 में तलाक की याचिका दायर की थी. कोर्ट ने राजा भैया की पत्नी भानवी को आज हाजिर होने का नोटिस भेजा था.
28 साल से शादी के बंधन में बंधे बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने नवंबर 2022 में अपनी पत्नी भानवी कुमारी सिंह के खिलाफ मानसिक क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक की याचिका दायर की थी. राजा भैया ने दावा किया है कि उसकी पत्नी ने ससुराल छोड़ दिया है और उसके साथ रहने से इनकार कर दिया है.
साथ ही बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने कहा कि पत्नी भानवी सिंह ने मेरे भाई और परिवार के सदस्यों पर झूठे आरोप लगाए ,जो मानसिक और भावनात्मक क्रूरता के बराबर है. फैमिली कोर्ट ने भानवी कुमारी सिंह को आज व्यक्तिगत रूप से या वकील के माध्यम से पेश होने के लिए समन जारी किया था.
खैर फैमिली कोर्ट के जज आज छुट्टी पर हैं. चूंकि यह एक विवादित तलाक है, इसलिए अब पत्नी को जवाब दाखिल करने का समय दिया जाएगा. फिर क्रूरता और परित्याग के साक्ष्य के आधार पर मामले की सुनवाई होगी.
देवर और भाभी के बीच था विवाद
पत्नी भानवी सिंह और भाई अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपालजी के बीच की कानूनी कलह की आंच अब राजा भैया के वैवाहिक जीवन पर पड़ती दिख रही है. यानी पहले विवाद देवर-भाभी यानी भानवी सिंह और अक्षय प्रताप सिंह के बीच था. राजा भैया ने भाई का पक्ष लिया तो पत्नी इस कदर नाराज हुई कि बात तलाक तक आ पहुंची है.
129वां संविधान संशोधन विधेयक 'एक राष्ट्र एक चुनाव' लागू करने के उद्देश्य से लाया गया है. यह बिल न सिर्फ संसद में, बल्कि सुप्रीम कोर्ट में भी संवैधानिक और कानूनी परीक्षा से गुजरेगा. इस बिल की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि यह संवैधानिक ढांचे, संघीय ढांचे और लोकतंत्र के सिद्धांतों पर कितना खरा उतरता है.
अमित शाह ने कहा, 'ये लोग कहते हैं कि मुस्लिम पर्सनल लॉ का अधिकार मिले तो हमें आपत्ति नहीं है. तो फिर पूरा शरिया लागू करिए. क्रिमिनल में क्यों शरिया निकाल दिया. क्या चोरी करने पर हाथ काट दोगे, कोई महिला के साथ जघन्य अपराध करे तो पत्थर मारकर मार दोगे, देशद्रोही को रोड पर सूली चढ़ाओगे तो निकाह के लिए पर्सनल लॉ, वारिस के लिए पर्सनल लॉ और क्रिमिनल शरिया क्यों नहीं? अगर उनको देना ही है तो पूरा दे देते.'