राजस्थान में शांति धारीवाल कैसे बच गए, धर्मेंद्र राठौड़ और महेश जोशी कैसे नप गए?
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राजस्थान चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तारीख से एक दिन पहले कांग्रेस ने उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी की. इसमें शांति धारीवाल का नाम था तो वहीं धर्मेंद्र राठौड़ और महेश जोशी जैसे नेताओं का टिकट कट गया. धारीवाल कैसे बच गए और राठौड़-जोशी कैसे नप गए?
राजस्थान विधानसभा की सभी 200 सीटों पर 25 नवंबर को मतदान होना है. राजस्थान चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि भी अब गुजर चुकी है और इसके साथ ही हर सीट पर तस्वीर साफ हो चुकी है कि किस-किसके बीच मुकाबला है. कर्नाटक की तर्ज पर चुनाव से दो महीने पहले उम्मीदवारों के ऐलान का दावा करने वाली कांग्रेस में आलम ये रहा कि नामांकन के लिए अंतिम दिन से ऐन पहले तक टिकटों का ऐलान हुआ.
नामांकन दाखिले की अंतिम तारीख से एक दिन पहले आई कांग्रेस की अंतिम लिस्ट में सबसे अधिक उत्सुकता तीन नाम को लेकर थी- शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़. सीएम अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले इन तीनों ही नेताओं के नाम पर कांग्रेस नेतृत्व को ऐतराज की खबरें आ रही थीं. जब अंतिम लिस्ट आई, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ का नाम सूची में नहीं था. शांति धारीवाल को पार्टी ने फिर से कोटा उत्तर विधानसभा सीट से मैदान में उतार दिया था.
धारीवाल को टिकट मिलने और महेश जोशी-धर्मेंद्र राठौड़ का टिकट कटने को लेकर एक नई चर्चा शुरू हो गई. सवाल ये भी उठ रहे हैं कि धारीवाल कैसे बच गए और महेश जोशी, धर्मेंद्र राठौड़ कैसे नप गए? ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि तीनों ही 25 सितंबर 2022 के घटनाक्रम से नेतृत्व की नजर में विलेन बनकर उभरे थे. कोई एक्शन भले ही ना हुआ हो लेकिन पार्टी नेतृत्व ने जिन नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, उनमें इन तीनों के नाम भी थे.
दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से पहले इस पद के लिए अशोक गहलोत का नाम चल रहा था और इसके साथ ही चल रही थी सत्ता के शीर्ष पर परिवर्तन की अटकलें. कांग्रेस की तत्कालीन कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को ऑब्जर्वर बनाकर विधायक दल की बैठक के लिए जयपुर भेज दिया. 25 सितंबर को दोनों नेताओं ने सीएम गहलोत के आवास पर विधायक दल की बैठक बुलाई भी, लेकिन गहलोत समर्थक विधायकों ने इस बैठक से किनारा कर लिया.
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शांति धारीवाल के आवास पर विधायकों ने बैठक की और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा लेकर विधानसभा स्पीकर के आवास जा पहुंचे. इस पूरी कवायद का कर्ता-धर्ता शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ को बताया गया. धारीवाल ने तो यहां तक कह दिया था कि कौन आलाकमान? यहां (राजस्थान में) जो भी हैं, गहलोत ही हैं. इसे भी नेतृत्व के लिए सीधी चुनौती के तौर पर देखा गया.
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