राजस्थान: उपचुनाव में वसुंधरा नहीं उतरीं प्रचार में, बीजेपी के काम आए भतीजे ज्योतिरादित्य
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राजस्थान के 20 साल के चुनावी इतिहास में ऐसा पहला मौका है जब किसी विधानसभा चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री वसंधरा राजे गायब रही हों. वसुंधरा राजे उपचुनाव में किसी भी सीट पर न तो नामांकन के दौरान नजर आईं और न ही किसी सीट पर प्रचार करने उतरीं. ऐसे में बीजेपी ने उनके भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया को बुलाकर प्रचार कराना पड़ा.
राजस्थान की तीन विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है. यह उपचुनाव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिए लिटमस टेस्ट माना जा रहा है तो बीजेपी के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है. ऐसे में राजस्थान के 20 साल के चुनावी इतिहास में ऐसा पहला मौका है जब किसी विधानसभा चुनाव से पूरी पूर्व मुख्यमंत्री वसंधरा राजे गायब रही हों. वसुंधरा राजे उपचुनाव में किसी भी सीट पर न तो नामांकन के दौरान नजर आईं और न ही किसी सीट पर प्रचार करने उतरीं. ऐसे में बीजेपी ने उनके भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया को बुलाकर प्रचार कराना पड़ा. राजस्थान उपचुनाव में बीजेपी वसुंधरा राजे को स्टार प्रचारक बनाया था और राज्य में पार्टी की सबसे बड़ा चेहरा भी मानी जाती हैं. इसके बावजूद तीन विधानसभा सीटों में से किसी एक सीट पर भी प्रचार करने नहीं गईं जबकि दो सीटों पर उनकी कैबिनेट में रहे मंत्री को पार्टी ने उतारा रखा है. राजस्थान में बीजेपी के प्रभारी अरुण सिंह ने जब वसुंधरा राजे से बातचीत हुई तो उन्होंने अपनी बहू की तबीयत खराब है, जिसकी वजह से और चुनाव प्रचार में नहीं आ रही हैं. वसुंधरा राजे को चुनाव प्रचार से गायब रहने को कांग्रेस मुद्दा बना रही है और कहा जा रहा है कि वसुंधरा समर्थकों को साधने में लगी हुई है. खबर तो यह भी है कि वसुंधरा समर्थक इस उपचुनाव में बीजेपी के खिलाफ काम कर रहे हैं. पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बीजेपी बिखरी हुई है. राजस्थान में बीजेपी इतने गुट बने हुए हैं कि वह ठीक से विपक्षी भूमिका भी नहीं निभा पा रही है. कांग्रेस को बीजेपी के बिखराव का फायदा मिलेगा.मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
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