राजनीतिक ही नहीं रोमांटिक भी थे लोहिया, जयंती पर पढ़िए उनके प्रेमपत्र
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प्रेम संबंधों को लेकर बात होती है तो साहित्य वाली बिरादरी अमृता-इमरोज या अमृता-साहिर के इश्क के कसीदे काढ़े नहीं थकती है. लेकिन अगर किसी ने कभी लोहिया और रोमा के लिखे पत्र पढ़ लिए तो हो सकता है कि शायद उसका मन किसी अवसाद से भर जाए कि उसने ऐसा प्रेम क्यों न किया?
नई दिल्लीः सपा सुप्रीमो रहे मुलायम सिंह यादव अब बुजुर्ग हो चले हैं. कभी-कभी बात करने में लड़खड़ा जाते हैं और कभी-कभी बातें भूल भी जाते हैं. लेकिन किसी भी हालत में नहीं भूल सकते तो एक नाम, वह है राम मनोहर लोहिया. यह वह नाम है जिसे खूब मन से जपते हुए मुलायम की समाजवादी पार्टी सूबे की सियासत में पैर जमाए रखती है और खुद को लोहिया की विचारधारा का असल वारिस बताती है. खैर, लोहिया के बारे में जानने-समझने के लिए बहुत सी किताबें, बहुत से लोग हैं और लोगों की बहुत सी बाते हैं. 1950 से 1970 तक 20 सालों में सक्रिय रहे लिखने वालों ने लोहिया पर खूब लिखा है, लेकिन आज आप वह पढ़िए, जिसे खुद लोहिया ने लिखा है.More Related News
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