यूपी में BSP बनी दोधारी तलवार! जानें- BJP या INDIA ब्लॉक किसे किया ज्यादा नुकसान
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दरअसल बसपा के वोटों के बिखराव ने इंडिया एलायंस को सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाया जबकि दर्जनभर से ज्यादा सीटों पर भाजपा को भी इसका फायदा मिला है. बीजेपी की जीती हुई 33 सीटों में 16 सीटें ऐसी हैं जहां बसपा को मिले वोट बीजेपी के इंडिया गठबंधन पर जीत के मार्जिन से ज्यादा हैं.
2024 लोकसभा चुनाव के नतीजे ने उत्तर प्रदेश में बीजेपी को सबसे बड़ा झटका दिया है, जहां सबसे ज्यादा जीतने की उम्मीदें थी बीजेपी वहीं सबसे ज्यादा नुकसान में चली गई, नतीजा ये कि बीजेपी को आज खुद से बहुमत नहीं है, लेकिन इसके लिए कौन जिम्मेदार है? क्या बहन जी यानी मायावती के वोटो में बिखराव होना और उनका इंडिया गठबंधन की तरफ शिफ्ट होना इसकी वजह है? या फिर बसपा ने दोनों को नुकसान पहुंचाया और खुद सबसे ज्यादा नुकसान में चली गई?
भाजपा को मिला फायदा दरअसल बसपा के वोटों के बिखराव ने इंडिया एलायंस को सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाया जबकि दर्जनभर से ज्यादा सीटों पर भाजपा को भी इसका फायदा मिला है. बीजेपी की जीती हुई 33 सीटों में 16 सीटें ऐसी हैं जहां बसपा को मिले वोट बीजेपी के इंडिया गठबंधन पर जीत के मार्जिन से ज्यादा हैं, ऐसे में कई सियासी जानकार कह रहे हैं कि इन सीटों पर बसपा के वोटो की वजह से बीजेपी की जीत हुई है, अगर यहां बीएसपी के वोट कम हो जाते तो यूपी में बीजेपी 20 के नीचे चली आती.
इन 23 सीटों पर बसपा ने INDIA ब्लॉक को पहुंचाया नुकसान हालांकि, 23 सीटें ऐसी भी मानी जा रही हैं जहां बसपा ने अच्छे वोट लिए जिससे इंडिया गठबंधन को नुकसान हुआ, लेकिन यह वो सीटें हैं जहां पर बीएसपी हमेशा से मजबूत रही है. बीएसपी जहां अपने वोटो के बिखराव को रोकने में थोड़ा भी सफल रही वहां बीजेपी जीती है ऐसी 23 सीटें है, जैसे बुलंदशहर, मथुरा, हाथरस, शाहजहांपुर, मिश्रिख, हरदोई, उन्नाव, फर्रुखाबाद, अकबरपुर, कैसरगंज, भदोही, बहराइच, डुमरियागंज, महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, जहां बसपा अपना अच्छा खासा वोट बैंक बचाने में सफल रही, जिसकी वजह से बीजेपी मामूली वोटो से ही सही लेकिन वह इंडिया गठबंधन पर भारी पड़ी. जबकि दूसरी तरफ बीएसपी प्रत्याशी जहां कम वोट पाए या फिर उनका बिखराव ज्यादा हुआ वह सीटें इंडिया गठबंधन को चली गई.
माना जा रहा है कि इटावा, धौरहरा खीरी, एटा, संभल, मोहनलालगंज, हमीरपुर, जालौन, सुल्तानपुर, बांदा, फतेहपुर, लालगंज, अंबेडकर नगर, जौनपुर, मछली शहर, सलेमपुर, गाजीपुर, चंदौली और घोसी इन सीटों पर बीएसपी अपनी परंपरागत वोट नहीं बचा पाई और इनका एक बड़ा हिस्सा इंडिया गठबंधन की तरफ शिफ्ट कर गया. कहीं कांग्रेस पार्टी को तो कहीं समाजवादी पार्टी को जिसकी वजह से बीजेपी इन सीटों को हार गई.
2019 का क्या रहा हाल? दरअसल, 2019 में जिन 42 सीटों पर बीएसपी नहीं लड़ी थी वहां दलितों ने ज्यादातर भाजपा को वोट किया था, लेकिन इस बार बीएसपी के लड़ने से बीएसपी को मिले वोटो ने बीजेपी का नुकसान कर दिया. 2019 में मुजफ्फरनगर में बीएसपी ने अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा किया था, लेकिन इस बार संजीव बालियान के खिलाफ लड़ रहे हरेंद्र मलिक को बीएसपी के दारा सिंह प्रजापति के लड़ने का फायदा मिला, बीएसपी उम्मीदवार को 1 लाख 43 हजार वोट मिला और संजीव बालियान 24 हजार वोटो से हार गए.
बदायूं में पिछली बार ज्यादातर दलित वोट बीजेपी के साथ गया था, क्योंकि बीएसपी का यहां उम्मीदवार नहीं था. लेकिन बसपा ने इस बार मुस्लिम खान को टिकट दिया. 97000 से ज्यादा वोट बसपा को मिला और बीजेपी दुर्विजय सिंह शाक्य लगभग 35 हज़ार वोट से हार गए. यह दो सीटें तो बानगी हैं, ऐसी 22 सीटों पर बीजेपी को हार मिली है, जहां पिछली बार बीएसपी के नहीं होने का फायदा बीजेपी को मिला था.
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