मोदी सरकार के आठ साल पूरे, अब अगले 2 साल इन मुद्दों पर रहेगा फोकस
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बनी बीजेपी सरकार के आठ साल पूरे हो चुके हैं और अब अगले दो साल के बाद 2024 का लोकसभा चुनाव है. ऐसे में मोदी सरकार को मौजूदा चुनौतियों को निपटने के साथ-साथ 2024 के लिए अभी से माहौल बनाने की दिशा में अपना फोकस रखना होगा.
देश की सत्ता पर नरेंद्र मोदी पहली बार 26 मई 2014 को काबिज हुए थे और 30 मई 2019 को दूसरी बार प्रधानमंत्री बने. इस तरह से नरेंद्र मोदी ने बतौर प्रधानमंत्री आठ साल पूरे कर लिए हैं. पीएम मोदी ने अपने आठ साल के कार्यकाल में जता दिया है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति वाली सरकार अपने फैसलों से कैसे राजनीति की दशा-दिशा बदल सकती है. वहीं, मोदी सरकार के दूसरे टर्म के पूरे होने में महज दो साल बचे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि मोदी सरकार का अगले दो साल में किस पर मुख्य फोकस रहने वाला है? दो सालों में 11 राज्यों का चुनाव
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में दो साल बचे हैं और उससे पहले 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव है. गुजरात, हिमाचल, में इसी साल आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं. साल 2023 में कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम में विधानसभा चुनाव हैं. इनमें पांच राज्यों में बीजेपी के मुख्यमंत्री हैं तो तीन राज्यों की सत्ता में भागीदार है. वहीं, दो राज्यों में कांग्रेस और एक में टीआरएस की सरकार है. ऐसे में बीजेपी का पूरा फोकस अगले साल में होने वाले चुनाव पर होगा. इन चुनाव के नतीजों का असर लोकसभा चुनाव पर पड़ना लाजिमी है. ऐसे में 2024 के लिटमस टेस्ट के तौर पर भी विधानसभा चुनाव को देखा जा रहा है, जिसके चलते बीजेपी का फोकस अगले दो सालों में होने वाले राज्यों के चुनाव में जीत पर रहने वाला है.
राष्ट्रपति का चुनाव पर फोकस
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल जुलाई 2022 में समाप्त हो रहा है. ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि चुनाव आयोग जून में राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है. ऐसे में बीजेपी का फोकस एक बार फिर से अपना राष्ट्रपति को जिताने का है. राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग करने वाले निर्वाचन मंडल में राजनीतिक गठबंधनों की बात करें तो कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के पास फिलहाल 23 फीसदी वोट है जबकि बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए के पास 49 फीसदी वोट हैं. यूपीए के मुकाबले में तो बीजेपी को बड़ी बढ़त हासिल है लेकिन अगर सभी विपक्ष ने संयुक्त उम्मीदवार खड़ा कर दिया तो बीजेपी उम्मीदवार के लिए समस्या खड़ी हो सकती है. क्योंकि संयुक्त विपक्षी दलों के वोट मिलकर 51 फीसदी होता है. बीजेपी और पीएम मोदी का फोकस राष्ट्रपति के चुनाव पर रहने वाला है.
राज्यसभा में मजबूती पर फोकस
मोदी सरकार देश की सत्ता पर आठ साल रहने और देश के 18 राज्यों में सरकार होने के बाद भी बीजेपी राज्यसभा में अपने दम पर 100 का आंकड़ा पार नहीं सकी है. इतना ही नहीं एनडीए अभी भी बहुमत के आंकड़े से दूर है. मोदी सरकार को अपने बिल को पास कराने के लिए क्षेत्रीय दलों के ऊपर निर्भर रहना होगा. ऐसे में बीजेपी को अपना पूरा फोकस उच्च सदन में खुद को मजबूत करने की दिशा में रखना होगा, जिसके लिए तमाम क्षेत्रीय दलों के साथ संतुलन को बनाए रखना है ताकि लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी आसानी के बिल को पास करा सकें.
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