मोदी के लार्जर प्लान पर बीजेपी ने शुरू किया काम, पसमांदा मुस्लिमों को जोड़ने की क्या है रणनीति?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने हैदराबाद में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के साथ मुस्लिम समाज को जोड़ने का एक लार्जर प्लान बनाया था, जिसमें पसमांदा मुसलमानों को जोड़ने का एजेंडा शामिल था. मोदी के इस प्लान को अमलीजामा पहनाने का काम शुरू हो गया है, जिसके लिए दिल्ली में शुक्रवार को एक बड़ी बैठक हो रही है. बीजेपी के पसमांदा मुस्लिम नेता इस कार्यक्रम में शामिल होंगे?
बीजेपी एक समय सवर्णों की पार्टी मानी जाती थी, लेकिन समय के साथ काफी बदलाव हो चुका है. बीजेपी अब सिर्फ सवर्णों की ही नहीं बल्कि दलित और पिछड़ों को भी नुमाइंदगी देने वाली पार्टी भी बन गई है. बीजेपी के इस सोशल इंजीनियरिंग को अब और भी व्यापक रूप देने के लिए नरेंद्र मोदी ने मुस्लिम समाज में पिछड़े माने जाने वाले पसमांदा मुसलमान को पार्टी से जोड़ने का 'मंत्र' हैदराबाद की बैठक में दिया था. मोदी के इस सियासी मंत्र को अमलीजामा पहनाने की कवायद शुक्रवार से शुरू हो रही है.
पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने की पीएम नरेंद्र मोदी की अपील के बाद दिल्ली के गालिब अकादमी में शुक्रवार को शाम पांच बजे 'पसमांदा मुस्लिम स्नेह मिलन और सम्मान समारोह' अयोजित किया जा रहा है. दिल्ली बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रभारी और राष्ट्रवादी मुस्लिम पसमांदा के अध्यक्ष आतिफ रशीद ने कार्यक्रम कर रहे हैं, जिसमें बीजेपी के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के लक्ष्मण मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हो रहे हैं.
'पसमांदा मुस्लिम स्नेह मिलन और सम्मान समारोह' कार्यक्रम के जरिए पसमांदा मुस्लिम समुदाय के लोगों को बड़ा संदेश देने की कोशिश होगी कि बीजेपी उन्हें पार्टी से जोड़ने को लेकर बहुत गंभीर है. इसके अलावा उनको बीजेपी संगठन के साथ ही सरकार में भी नेतृत्व देना शुरू किया है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर यूपी की योगी सरकार में पसमांदा मुस्लिमों की रहनुमाई करने वाले नेता भी शामिल हो रहे हैं. कार्यक्रम में बीजेपी के साथ पसमांदा मुसलमानों को जोड़ने की रूपरेखा की जाएगी?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में मंत्रिमंडल के साथ ही प्रमुख पदों के माध्यम से आगे लाए गए पसमांदा समाज के लोगों को सम्मानित किया जाएगा, जिसमें प्रदेश सरकार मंत्री दानिश आजाद अंसारी, उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी, यूपी मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष डा. इफ्तिखार अहमद जावेद और उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के अध्यक्ष चौधरी कैफुल वरा शामिल हैं. इसके अलावा देश के दस राज्यों से मुस्लिम पसमांदा इस कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं, जिसमें उन्हें सम्मानित किया जाएगा.
बीजेपी के साथ पसमांदा मुस्लिमों को जोड़ने की मुहिम की अगुवाई कर रहे आतिफ रशीद ने बताया कि देश में 80 फीसदी पसमांदा मुस्लिम हैं, जो पिछड़ी जाति के तहत आते हैं और अलग-अलग जातियों में बंटे हुए हैं. वहीं, 20 फीसदी उच्च जाति के मुस्लिम है. पसमांदा मुस्लिम सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से काफी पिछड़े हुए हैं, जो तथाकथित सेक्युलर दल हैं, उन्होंने कभी भी पसमांदा मुस्लिमों को विकास के लिए कोई काम नहीं किया. न ही उन्हें राजनीतिक रूप से आगे लाए और न ही आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया.
आतिफ रशीद ने कहा कि मुस्लिमों में पसमांदा समाज की तरफ पहले किसी ने ध्यान नहीं दिया. पीएम नरेंद्र मोदी ने इन्हें अपने साथ जोड़ने को कहा है. हम पहले से पसमांदा समाज को जोड़ने और उनके मुद्दों को लेकर का काम कर रहे हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए 'पसमांदा मुस्लिम स्नेह मिलन और सम्मान समारोह' कार्यक्रम किया जा रहा है, जिसमें समाजिक उत्थान में पिछड़े अल्पसंख्यक समाज की भूमिका पर बात की जाएगी. समुदाय के सामने आने वाली बाधाओं और चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी.
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