'मैं न्यायाधीश नहीं हूं...' जानें क्यों स्पीकर ओम बिरला को लोकसभा में बोलना पड़ा
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मनीष तिवारी ने कहा कि कथित 'आरोपी' को अपना बयान भी पूरा नहीं देने दिया गया. यह किस प्रकार की प्रक्रिया है? जिसने आरोप लगाए हैं, महुआ मोइत्रा को उसका क्रॉस-एग्जामिनेशन करने का अधिकार मिलना चाहिए था.
महुआ मोइत्रा के 'कैश फॉर क्वेरी' (पैसे के बदले सवाल) मामले में शुक्रवार को संसद की एथिक्स कमिटी ने अपनी जांच रिपोर्ट लोकसभा में पेश कर दी. एथिक्स कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा को संसदीय आचरण के उल्लंघन का दोषी माना और स्पीकर से उनकी सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की. स्पीकर ओम बिड़ला ने इस प्रस्ताव पर सदन में वोटिंग कराई. सदन के सदस्यों का बहुमत वोट महुआ के खिलाफ रहा और इस तरह उनकी सदस्यता रद्द करने का प्रस्ताव लोकसभा से पास हो गया.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस रिपोर्ट पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों को चर्चा के लिए आमंत्रित किया. विपक्ष की ओर से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने चर्चा की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि इस मामले में एथिक्स कमिटी द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया प्राकृतिक न्याय के मूलभूत सिद्धांतों का दमन करती है.
मनीष तिवारी ने कहा कि कथित 'आरोपी' को अपना बयान भी पूरा नहीं देने दिया गया. यह किस प्रकार की प्रक्रिया है? जिसने आरोप लगाए हैं, महुआ मोइत्रा को उसका क्रॉस-एग्जामिनेशन करने का अधिकार मिलना चाहिए था. सभी व्हिप वापस लिए जाने चाहिए. यह बड़ी विडंबना है कि 12 बजे रिपोर्ट रखी जाती है और 2 बजे उसकी बहस लगा दी जाती है. यह किस तरह की न्याय प्रक्रिया है. आज यह संसद नहीं है. हम जज और जूरी बनकर बैठे हैं.
'मैं न्यायाधीश नहीं हूं मैं सभापति हूं'
इस पर लोकसभा स्पीकर ने टोकते हुए कहा, 'मनीष जी आप यह डिबेट संसद में कर रहे हैं या कोर्ट में. यह सांसद है कोर्ट नहीं. मैं न्यायाधीश नहीं हूं मैं सभापति हूं.' स्पीकर ने कहा कि हम इस मामले पर संवेदनशीलता से चर्चा कर रहे हैं. मैं कोशिश करता हूं कि किसी को निलंबित न करूं या किसी के खिलाफ कार्रवाई न करूं. मैं संसद की मर्यादा बनाए रखने की कोशिश करता हूं. यह हमारे लिए सर्वोपरि है.
टीएमसी ने महुआ मोइत्रा को पार्टी की ओर से बोलने का प्रस्ताव दिया. संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने 2005 के 'नकदी के बदले प्रश्न' मामले का हवाला देते हुए कहा, 'तब भी अनुरोध किया गया था कि 10 आरोपी सांसदों को बोलने की इजाजत दी जाए. तब तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने कहा कि आरोपी सांसद पहले ही समिति के समक्ष अपनी बात रख चुके हैं. यह अनैतिक प्रश्न नहीं उठना चाहिए!' स्पीकर ओम बिरला ने कहा, 'मेरे पास पुराने मामले का भी रिकॉर्ड है. हमारे नियम वही हैं जिनका हवाला तत्कालीन अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने दिया था'.
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