![मुस्लिम देश मलेशिया ने अमेरिका को सुनाई दो टूक, फिलिस्तीन को लेकर इस प्रतिबंध को मानने से किया इनकार](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202311/anwar-sixteen_nine.jpg)
मुस्लिम देश मलेशिया ने अमेरिका को सुनाई दो टूक, फिलिस्तीन को लेकर इस प्रतिबंध को मानने से किया इनकार
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मुस्लिम बहुल देश मलेशिया लंबे समय से फिलिस्तीन मुद्दे को लेकर मुखर समर्थक रहा है. मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने मंगलवार को कहा है कि अमेरिका द्वारा फिलिस्तीनी संगठन हमास पर लगाए गए एकतरफा प्रतिबंधों को मलेशिया मान्यता नहीं देगा.
इजरायल और हमास में जारी खूनी जंग के बीच इस्लामिक देश मलेशिया ने एक बार फिर खुलकर हमास का समर्थन किया है. मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने मंगलवार को कहा है कि मलेशिया अमेरिका द्वारा फिलिस्तीनी संगठन पर लगाए गए एकतरफा प्रतबंधों को मान्यता नहीं देगा. दरअसल, फिलिस्तीनी संगठनों को मिलने वाली वित्तीय मदद में कटौती करने के उद्देश्य से अमेरिकी सीनेट में 'हमास अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण रोकथाम' अधिनियम पर वोटिंग होनी है.
हमास अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण रोकथाम अधिनियम पिछले सप्ताह अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में पारित किया गया था. वहीं, अमेरिकी सीनेट में इसकी वोटिंग होनी है. इस अधिनियम का मकसद फिलिस्तीनी संगठनों के वित्तपोषण में कटौती करना है.
एकतरफा अमेरिकी प्रतिबंधों को मान्यता नहींः मलेशिया
मलेशिया ने मंगलवार को कहा, " हमास और अन्य फिलिस्तीनी समूहों के विदेशी मदद के खिलाफ प्रतिबंध लगाने के प्रस्तावित अमेरिकी कानून के जवाब में मलेशिया अमेरिका के एकतरफा प्रतिबंधों को मान्यता नहीं देगा.''
मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने कहा कि उनकी सरकार इस विधेयक के पारित होने के घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रही है. उन्होंने कहा कि अमेरिका का यह विधेयक मलेशिया को तभी प्रभावित करेगा, जब यह फिलिस्तीनी संगठन को मैटेरियल सपोर्ट प्रदान करने वाला हो.
मलेशियाई प्रधानमंत्री ने मंगलवार को यह टिप्पणी एक विपक्षी सांसद की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब का देते हुए की. विपक्षी सासंद ने उस अमेरिकी विधेयक पर सरकार का रुख पूछा था. जिस विधेयक में फिलिस्तीनी संगठन हमास को अमेरिका और यूरोपीय संघ ने आतंकवादी समूह करार दिया है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात ने दोनों नेताओं के बीच गहरी मित्रता को दर्शाया. ट्रंप ने मोदी को 'आई मिस यू' कहकर स्वागत किया, जबकि मोदी ने दोनों देशों के संबंधों को '1+1=111' बताया. दोनों नेताओं ने व्यापार, सुरक्षा और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की. ट्रंप ने मोदी को 'महान नेता' और 'खास व्यक्ति' बताया. मोदी ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा. दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की और शांति की आवश्यकता पर जोर दिया.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात में दोस्ती और व्यापार पर चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की तारीफ की, लेकिन व्यापार मुद्दों पर तनाव बरकरार रहा. ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की, जो भारत के लिए चुनौती हो सकती है. मुलाकात में एफ-35 फाइटर जेट्स और तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर भी चर्चा हुई.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग पर गहन चर्चा की गई. इस चर्चा में अमेरिका ने भारत को F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट्स, स्ट्राइकर कॉम्बैट व्हीकल्स और जावलिन मिसाइल्स की पेशकश की. विशेषज्ञों का विचार है कि ये हथियार भारत की आत्मनिर्भरता नीति के सटीक अनुरूप नहीं हैं.
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रूस-यूक्रेन जंग को खत्म करने का ब्लू प्रिंट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगभग तैयार कर लिया है. इससे पहले ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यू्क्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से फोन पर बातचीत की. ट्रंप चाहते हैं कि नाटो में शामिल होने की जिद्द यूक्रेन छोड़ दे लेकिन जेलेंस्की ने अपने देश की सुरक्षा का हवाला दिया है.
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PM नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई मुलाकात में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. आतंकवाद से निपटने में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बन गई, जिसमें ठाकुर हसन राणा के प्रत्यर्पण का विषय भी शामिल था. फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में भारत-अमेरिका के सहयोग पर भी वार्ता हुई, जहाँ अमेरिकी बाजार में भारतीय जेनेरिक दवाओं की भारी मांग है.