
'मां ने बदला था धर्म, मैंने नहीं पढ़ा कलमा...', मुस्लिम देश में महिला नहीं छोड़ पा रही इस्लाम
AajTak
मुस्लिम बहुल देश मलेशिया में इस्लाम छोड़ना बेहद मुश्किल काम है. वहां लोग अगर चाहें तब भी इस्लाम नहीं छोड़ पाते. इस्लाम की शरिया अदालतें इस्लाम छोड़ने की याचिकाओं को खारिज कर देती हैं और याचिकाकर्ता से कहती हैं कि उन्हें इस्लाम छोड़ने की अनुमति नहीं है, वहीं सिविल कोर्ट कहते हैं कि ये मामला उनके क्षेत्राधिकार में नहीं आता.
मुस्लिम देश मलेशिया की एक अदालत ने इस्लाम छोड़ने की एक याचिका खारिज कर दी है. मलेशिया के शहर कुआंटन के हाई कोर्ट ने ओरंग असली आदिवासी समुदाय की एक महिला को दोबारा अपने आदिवासी रीति-रिवाजों के अनुसार जीने से मना करते हुए कहा है कि उसे इस्लाम धर्म का पालन करना होगा.
महिला का दावा है कि वो ओरंग असली आदिवासी समुदाय के जकुन जनजाति से ताल्लुक रखती है और जब वो दो साल की थी तब उसकी मां ने इस्लाम कबूल कर लिया था.
इस्लाम छोड़ने की महिला का याचिका खारिज करते हुए कुआंटन हाई कोर्ट को जज जैनल आजमान अब अजीज ने कहा कि याचिका के जरिए महिला का उद्देश्य इस्लाम का त्याग करना है जो कि एक ऐसा मामला है जो सिविल कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता.
स्थानीय मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक, जज ने कहा, 'मुकदमे का विषय शरिया अदालत के विशेष अधिकार क्षेत्र में आता है.'
अदालत ने सुनवाई के दौरान पेश किए गए सबूतों के आधार पर माना कि महिला का पालन-पोषण उसकी मां ने इस्लामी जीवनशैली के अनुसार किया जिसने इस्लाम अपना लिया था.
जैनल ने पहांग (मलेशिया का राज्य जिसकी राजधानी कुआंटन है) इस्लामिक फैमिली लॉ एक्ट का भी हवाला दिया, जिसमें यह प्रावधान है कि बच्चे उस माता-पिता का धर्म अपनाएंगे जिन्होंने उनकी देखरेख की हो.

पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने गुरुवार को बलूचिस्तान के दौरे पर पहुंचे हैं, जहां उन्होंने कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की. पाकिस्तानी सेना का दावा है कि उसने रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर लिया है तो दूसरी ओर बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) का कहना है कि ISPR द्वारा किए गए दावे झूठे हैं और पाक हार को छिपाने की नाकाम कोशिश कर रहा है.

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.