महिला आरक्षण पर सोनिया-राहुल के भाषण क्यों NDA से ज्यादा I.N.D.I.A. के दलों को टेंशन देंगे?
AajTak
कांग्रेस के दो बड़े नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने संसद में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान इसका समर्थन किया. दोनों के ही संबोधन में जोर ओबीसी और जातीय जनगणना पर था. ये सत्ताधारी एनडीए से अधिक विपक्षी I.N.D.I.A. गठबंधन के लिए चिंता बढ़ाने वाला क्यों है?
लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान करने वाले नारी शक्ति वंदन विधेयक ने निचले सदन की बाधा पार कर ली है. बुधवार को लोकसभा में देर शाम तक मैराथन चर्चा के बाद इस विधेयक पर मतदान हुआ. बिल के पक्ष में 454 वोट पड़े जबकि विरोध में केवल दो. लोकसभा के 'वोट गणित' के बाद ये भी साफ हो गया है कि महिला आरक्षण बिल की राह राज्यसभा में भी आसान ही होगी क्योंकि लोकसभा में दो सांसदों वाली असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को छोड़कर किसी भी पार्टी ने इसका विरोध नहीं किया.
महिला आरक्षण के मुखर विरोधी रहे लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का राज्यसभा में क्या रुख रहता है, इस पर जरूर नजरें होंगी. लालू यादव की पार्टी भी विपक्षी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है और इस गठबंधन के करीब-करीब सभी दल अगर-मगर, किंतु-परंतु, सवालों-शंकाओं के साथ ही सही, इस बिल का समर्थन कर रहे हैं. यहां तक की यूपीए सरकार के समय आए बिल का लालू के साथ विरोध करने वाली समाजवादी पार्टी (सपा) भी.
कांग्रेस ने भी कुछ मांगें, कुछ चिंताएं रखीं जरूर लेकिन इस बिल का समर्थन किया. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि मैं इस बिल का समर्थन करने के लिए खड़ी हुई हूं. उन्होंने लगे हाथ इसमें ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण और जातिगत जनगणना की मांग भी उठा दी. राहुल गांधी ने भी ठीक यही पैटर्न फॉलो किया. राहुल ने बिल का समर्थन किया और साथ ही ये भी जोड़ दिया कि ओबीसी आरक्षण के बिना ये बिल अधूरा है. उन्होंने ये आरोप भी लगाया कि सरकार जातिगत जनगणना की मांग से ध्यान भटकाना चाहती है.
सोनिया-राहुल दोनों ने उठाई ओबीसी आरक्षण की मांग
सोनिया गांधी और राहुल गांधी का महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान ये संबोधन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए से अधिक विपक्षी गठबंधन के लिए टेंशन देने वाले हैं. दोनों ने ओबीसी आरक्षण की मांग उठाई, जातिगत जनगणना की मांग की जो विपक्षी गठबंधन में सपा, आरजेडी, जेडीयू जैसी पार्टियां भी कर रही हैं. सवाल उठता है कि फिर ये विपक्षी पार्टियों के लिए टेंशन कैसे?
दरअसल, सोनिया और राहुल का संसद में ओबीसी आरक्षण और जातिगत जनगणना की मांग करना ही इंडिया गठबंधन के घटक दलों के लिए टेंशन की वजह है. इंडिया गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी हो या आरजेडी या जेडीयू, इन पार्टियों की सियासत का आधार ही ओबीसी रहा है. जनता दल से टूटकर जितनी पार्टियां बनीं, अधिकतर का वोट बेस ओबीसी ही रहा है. पीएम मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में मजबूती से उभरने के बाद ओबीसी में इन पार्टियों की पकड़ कमजोर हुई जिसका नतीजा 2014 चुनाव के बाद कई राज्यों के नतीजों में भी झलकता है.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.