भारत को अमेरिका की चेतावनी के बाद बोला रूस- कोई दबाव काम नहीं आएगा
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लावरोव ने शुक्रवार को नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय वार्ता की. रूसी विदेश मंत्रालय की ओर से ट्वीट किया गया कि 24 फरवरी को यूक्रेन में मास्को की ओर से विशेष सैन्य अभियान शुरू करने के बाद से यह लावरोव की भारत की पहली यात्रा है.
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिकी दबाव भारत और रूस के बीच साझेदारी को प्रभावित नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि दबाव साझेदारी को प्रभावित नहीं करता है, मुझे कोई संदेह नहीं है कि कोई दबाव हमारी साझेदारी को प्रभावित नहीं करेगा. लावरोव ने कहा कि वे (अमेरिका) दूसरों को अपनी राजनीति का पालन करने के लिए मजबूर कर रहे हैं. भारत-रूस के संबंधों को प्रभावित करने वाले अमेरिकी दबाव के बारे में पूछे गए सवाल पर रूसी विदेश मंत्री ने ये जवाब दिया.
बता दें कि भारत दौरे पर अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह ने कहा है कि अगर चीन LAC पर कोई हरकत करता है तो रूस मदद करने आएगा ऐसी उम्मीद भारत को नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रूस पर लगाए प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाले देशों को भी गंभीर नतीजे भुगतने होंगे. अमेरिकी अधिकारी की ओर से आया यह बयान एक तरह से भारत के लिए चेतावनी जैसा है. हालांकि भारत ने भी इशारों-इशारों में साफ जता दिया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध पर उसके रुख में कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है.
भारत जो भी खरीदना चाहता है, हम उसे देंगे: लावरोव मॉस्को और कीव के बीच भारत के मध्यस्थ बनने की संभावना पर रूसी विदेश मंत्री ने कहा, "भारत एक महत्वपूर्ण देश है. अगर भारत उस भूमिका को निभाना चाहता है जिससे समस्या का हल निकले तो ऐसा हो सकता है. रूस और भारत के बीच संबंधों को और गहरा करने के संबंध में रूसी विदेश मंत्री ने एक बड़ी घोषणा भी की. उन्होंने कहा कि मास्को तेल और हाई-टेक हथियारों की आपूर्ति करने के लिए तैयार है जो दिल्ली उससे खरीदना चाहता है.
यह घोषणा महत्वपूर्ण है क्योंकि ये बयान यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियान के कारण चल रहे ऊर्जा संकट के बीच आया है, जिसने दुनिया भर में ऊर्जा की कीमतों को बुरी तरह प्रभावित किया है. मॉस्को और नई दिल्ली के बीच संबंध दशकों पुराने हैं, इस पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि हमने कई दशकों तक भारत के साथ विकसित किए हैं.
उन्होंने भारतीय कूटनीति की सराहना की और भारत को वफादार भागीदार बताया. सुरक्षा चुनौतियों के मामले में रूस भारत का समर्थन कैसे कर सकता है, इस पर विस्तार से विस्तार से बताते हुए लावरोव ने कहा, "मेरा मानना है कि भारतीय विदेश नीतियां स्वतंत्रता और वास्तविक राष्ट्रीय हितों पर आधारित है. यही नीति रूसी संघ में भी है. यह हमें अच्छा दोस्त और वफादार साझेदार बनाता है.
लावरोव ने कहा कि भारत और रूस के संबंध काफी पुराने हैं. अक्टूबर 2000 में भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी पर घोषणा पर हस्ताक्षर करने के बाद से भारत-रूस संबंधों ने राजनीतिक, सुरक्षा, रक्षा, व्यापार सहित द्विपक्षीय संबंधों के लगभग सभी क्षेत्रों में नई सफलता हासिल की है.
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