बेरहमी से महिला की हत्या, मूक-बधिर चश्मदीद और टैटू की गवाही... दिमाग घुमा देने वाली है इस कत्ल की कहानी
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मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की रहने वाली एक महिला की मर्डर मिस्ट्री दिल दहला देने वाली है. अपने पति से झगड़ा करके निकली इस महिला को जरा भी नहीं पता था कि उसका इतना खौफनाक हश्र होगा. उसके साथ पहले रेप की कोशिश हुई, फिर हत्या के बाद कातिल ने उसके शव के दो टुकड़े कर दिए.
8 जून, दिन शनिवार. नागदा महू इंदौर पैसेंजर ट्रेन, इंदौर रेलवे स्टेशन के यार्ड में खड़ी थी. बोगियों की साफ-सफाई का काम चल रहा था. इसी बीच एक जनरल बोगी में सीट के नीचे एक सफाई कर्मी की नजर एक बोरी पर गई. बोरी संदिग्ध थी. शायद इसलिए भी क्योंकि बोरी पर खून के धब्बे और मक्खियां मौजूद थीं. सफाई कर्मी ने तुरंत इसकी इत्तिला इंदौर जीआरपी को दी और पुलिसकर्मियों ने बोरी को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी. लेकिन जैसा कि डर था, वही हुआ था. बोरी में एक महिला की लाश के टुकड़े थे. जी हां लाश के टुकड़े. और टुकड़े भी क्या थे? सिर और धड़ का हिस्सा भर था, हाथ पांव गायब थे. जाहिर है मामला क़त्ल था. वारदात के बाद जिसे भयानक तरीके से ठिकाने लगाया गया था.
पुलिस ने इस ब्लाइंड मर्डर केस की जांच शुरू कर दी, लेकिन इससे पहले कि पुलिस को इस महिला के बारे में कोई जानकारी मिल पाती, ठीक इसी से मिलती जुलती एक और कहानी सामने आई. इस बार जगह इंदौर से 1 हज़ार 150 किलोमीटर दूर उत्तराखंड का ऋषिकेश शहर था. 10 जून दिन सोमवार. उत्तराखंड के ऋषिकेश शहर में भी दो दिन बाद ठीक वैसी ही एक वारदात हुई. यहां 10 जून को रेलवे स्टेशन पर खड़ी योगनगरी ऋषिकेश एक्सप्रेस एक बोरी में एक महिला की लाश के टुकड़े मिले. लाश के टुकड़े बोले तो सिर्फ हाथ और पैर का हिस्सा, जबकि यहां लाश का सिर और धड़ गायब था. ठीक इंदौर पुलिस की तरह ही अब ऋषिकेश पुलिस भी इस पहेली को सुलझाने को लेकर परेशान हो गई.
जाहिर है पहेली को सुलझाने के लिए उस स्टेशन का पता करना सबसे पहले जरूरी था, जहां से ये लाश के टुकड़े ट्रेन में रखे गए थे. उसके लिए ट्रेन के पूरे रूट की स्कैनिंग जरूरी थी. तो जो पहली ही बात पुलिस की नजर में आई, वो थी योगनगरी ऋषिकेश एक्सप्रेस के सोर्स और डेस्टिनेशन यानी चलने से पहुंचने तक की जगह. इत्तेफाक से ये ट्रेन भी उसी इंदौर शहर से चलती है, जिस इंदौर शहर में महज़ दो दिन पहले एक महिला की बगैर हाथ-पैर वाली लाश मिली थी. यानी इस बात संभावना बहुत ज्यादा थी कि ये कटे हुए हाथ पैर उसी महिला के हो सकते हैं, जिसकी लाश नागदा महू इंदौर पैसेंजर ट्रेन में मिली थी. अब लाश के इन टुकड़ों को लेकर दोनों स्टेशनों के जीआरपी की बातचीत शुरू हो चुकी थी.
दोनों ही शहर की पुलिस को ये लगने लगा था कि लाश के ये अलग-अलग टुकड़े एक ही महिला के हो सकते हैं. लेकिन दिक्कत ये थी ना तो इस महिला की पहचान पता थी और ना ही किसी ने इंदौर या आस-पास के किसी शहर में किसी को ट्रेन में लाश रखते हुए देखा ही था. सब सबूत के नाम पर पुलिस के पास महिला की बांह पर लिखे ये दो अल्फाज भर थे, जिस पर 'मीरा बेन और गोपाल भाई' लिखा हुआ था. वैसे तो सिर्फ हाथ पर गुदे इन दो नामों के सहारे किसी भी महिला की पहचान एक मुश्किल काम था, लेकिन फिर भी पुलिस ने अपनी कोशिश जारी रखी. पता चला कि मध्यप्रदेश और गुजरात के बॉर्डर के आस-पास के कई इलाकों में आदिवासी लड़कियां अपनी बांह पर अपना और अपने भाई का नाम लिखवा लेती हैं.
ख़ैर कोशिश जारी रही और आखिरकार पुलिस ने महिला की पहचान पता कर ली. 37 साल की ये महिला रतलाम जिले के बिलपांक थाना इलाके की गांव मऊ की रहने वाली थी मीरा बेन थी, जो 6 जून को अपने पति से झगड़ कर घऱ से निकल गई थी. उसके पति ने अपनी पत्नी के घर से चले जाने के बाद उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी लिखवाई थी. लेकिन सवाल ये था कि जो मीरा बेन अपनी मर्जी से सही सलामत घर से निकली थी, वो महज दो दिनों में अलग-अलग टुकड़ों में बंट कर एक हज़ार किलोमीटर से ज्यादा के फासले में कैसे बिखर गई? आखिर उस महिला का क़त्ल किसने किया और क्यों? यानी अब मरने वाली महिला की पहचान हो चुकी थी, पुलिस को असली कहानी पता लगानी थी.
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