बूंद-बूंद से बर्बाद होता पानी, साल दर साल सूख रहा महानगरों का गला... जल सकंट की ओर बढ़ रहा भारत
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देश में घटते जल स्तर के कारण लाखों लोग स्वच्छ पानी की कमी से जूझ रहे हैं. जहां जलवायु परिवर्तन पानी की कमी के पीछे का एक प्रमुख कारण है तो वहीं अत्यधिक उपयोग और बर्बादी ने भी जल संकट के खतरे को और बढ़ा दिया है. दिल्ली में भी हालत बदतर नजर आ रहे हैं. कई इलाकों को ड्राई जोन घोषित कर दिया गया है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली इन दिनों जल संकट से जूझ रही है. कई इलाकों को ड्राई जोन घोषित किया जा चुका है. दिल्ली में रोजाना 50 मिलियन गैलन पानी की शॉर्टेज बताई जा रही है. लोग बूंद-बूंद पानी को मोहताज नजर आ रहे हैं. मुद्दे पर सियासत भी जारी है. दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने हरियाणा पर पानी की आपूर्ति न करने का आरोप लगाया है.
हरियाणा द्वारा राष्ट्रीय राजधानी को अतिरिक्त पानी देने से इनकार करने के बाद दिल्ली में जल संकट कानूनी लड़ाई में बदल गया. हालांकि, केवल दिल्ली ही जल संकट का दंश नहीं झेल रही है, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में पड़ रही भीषण गर्मी ने बिजली और पानी की खपत बढ़ा दी है. दिल्ली-बेंगलुरु जैसे तमाम महानगरों में भारी पानी की किल्लत देखने को मिल रही है.
घटते जल स्तर के कारण लाखों लोग स्वच्छ पानी की कमी से जूझ रहे हैं. जहां जलवायु परिवर्तन पानी की कमी के पीछे का एक प्रमुख कारण है तो वहीं अत्यधिक उपयोग और बर्बादी ने भी जल संकट के खतरे को और बढ़ा दिया है.
रिपोर्ट बताती है कि औसत भारतीय अपनी दैनिक पानी की ज़रूरत का 30 प्रतिशत बर्बाद कर देते हैं. यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, प्रति मिनट 10 बूंदें टपकने वाला नल प्रतिदिन 3.6 लीटर पानी बर्बाद करता है. साथ ही, शौचालय के हर फ्लश में लगभग छह लीटर पानी खर्च होता है.
डाउन टू अर्थ पत्रिका की रिपोर्ट में कहा गया है, "पानी की बर्बादी का एक और अनुमान बताता है कि हर दिन 4,84,20,000 करोड़ क्यूबिक मीटर यानी एक लीटर की 48.42 अरब बोतल पानी बर्बाद हो जाता है, जबकि इस देश में करीब 16 करोड़ लोगों को साफ और ताजा पानी नहीं मिल पाता है."
भारत में पानी की कितनी कमी है?
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