बुर्का हटाने की बात पर BJP प्रत्याशी माधवी लता पर केस, क्या वोटिंग के दौरान ढंका जा सकता है चेहरा, क्या हैं नियम?
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इलेक्शन कमीशन 'फ्री एंड फेयर' चुनावों की बात करता है. इसका एक हिस्सा यह भी है कि कोई फर्जी वोट न पड़े. फिर हैदराबाद से बीजेपी प्रत्याशी माधवी लता के एक्शन में क्या गलत था? आरोप है कि वोटिंग के दौरान माधवी ने महिला वोटर्स से बुर्का हटाने को कह दिया. वैसे दुनिया के कई देशों में मतदान के दौरान चेहरा दिखाना जरूरी है.
तेलंगाना की हैदराबाद सीट से BJP कैंडिडेट माधवी लता पर मुस्लिम महिला वोटरों के साथ गलत व्यवहार का आरोप लगा. दरअसल चौथे चरण की वोटिंग के दौरान एक वीडियो जारी हुआ, जिसमें माधवी महिलाओं से बुर्का हटाने को कहती हैं. चुनाव अधिकारी के आदेश पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. लेकिन क्या चेहरा कवर रखने पर पारदर्शी वोटिंग पर असर नहीं होता? जानिए, क्या है हमारे, और दूसरे देशों में नियम.
क्या है बीजेपी प्रत्याशी का मामला
माधवी पर चुनाव को प्रभावित करने के लिए आईपीसी के सेक्शन 171सी, पब्लिक सर्वेंट को रोकने पर 186 और 501सी के तहत मामला दर्ज हुआ. साथ ही साथ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 132 के तहत भी केस हुआ है. हैदराबाद कलेक्ट्रेट ऑफिस ने सोशल मीडिया पर ये जानकारी दी. बता दें कि चौथे चरण के दौरान एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें माधवी महिलाओं के चेहरे से बुर्का हटाकर फोटो आईडी से उसका मिलान करती दिख रही हैं.
सफाई देते हुए बीजेपी प्रत्याशी ने कहा कि कानून के मुताबिक मुझे अपने इलाके वोटर्स के आईडी कार्ड और उन्हें फेस मास्क के बिना देखने का अधिकार है. मैं पुरुष नहीं, महिला हूं और मैंने विनम्रता के साथ अपनी बात कही थी.
क्या चेहरा कवर कर सकते हैं वोटर काफी समय से इसपर बात होती रही, हालांकि धर्म विशेष की महिलाओं का चेहरा ढंककर आम बात है. पचास के दशक में पहले लोकसभा चुनाव से पहले इलेक्शन कमीशन ने पूरी कोशिश की कि महिलाएं चुनाव में हिस्सा लें. लेकिन बहुत सी महिलाओं ने वोटर के तौर पर अपना नाम लिखाने से इनकार कर दिया. वे चाहती थीं कि उन्हें उनके पुरुष रिश्तेदार के नाम से जाना जाए, जैसे फलां की माता या बहन या पत्नी.
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