बालासोर ट्रेन हादसे के 11 दिन बाद भी 81 शवों की पहचान नहीं, अब DNA रिपोर्ट का इंतजार; मास क्रिमेशन की तैयारी
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बालासोर हादसे में मारे गए 207 लोगों की पहचान हो चुकी है. इनके शवों को उनके परिजनों को सौंपा जा चुका है. जबकि जिन 81 शवों की पहचान नहीं हुई, उन्हें एम्स भुवनेश्वर में खास तरीके के 4 कंटेनरों में रखा गया है. इन शवों की पहचान के लिए 75 के डीएनए सैंपल दिल्ली की फोरेंसिक साइंस लैब भेजे गए हैं.
ओडिशा क बालासोर में हुए ट्रिपल ट्रेन हादसे को 11 दिन बीत गए हैं. लेकिन हादसे में मारे गए 288 लोगों में 81 शवों की पहचान अब तक नहीं हो पाई है. ऐसे में अब इनके सामूहिक अंतिम संस्कार की तैयारियां की जा रही हैं. ओडिशा प्रशासन ने भुवनेश्वर में चार ऐसी जगहों की पहचान की है, जहां इन शवों का अंतिम संस्कार किया जाएगा. वहीं, डीएनए रिपोर्ट का इंतजार कर रहे परिजनों के पास भी सामूहिक अंतिम संस्कार के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.
बालासोर हादसे में मारे गए 207 लोगों की पहचान हो चुकी है. इनके शवों को उनके परिजनों को सौंपा जा चुका है. जबकि जिन 81 शवों की पहचान नहीं हुई, उन्हें एम्स भुवनेश्वर में खास तरीके के कंटेनरों में रखा गया है. इन शवों की पहचान के लिए 75 के डीएनए सैंपल दिल्ली की फोरेंसिक साइंस लैब भेजे गए हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, चिकित्सा अधीक्षक दिलीप कुमार परिदा ने बताया कि शव अब और नहीं सड़ रहे हैं. लेकिन डीएनए रिपोर्ट आने के बाद इन्हें लेकर तुरंत फैसला किया जाएगा. हालांकि, शवों की हर दिन जांच की जा रही है. नगरपालिका के एक अधिकारी ने बताया कि नागरिक निकाय शॉर्ट नोटिस पर बड़े पैमाने पर शवों के अंतिम संस्कार के लिए तैयार है. बस सरकार के संकेत का इंतजार किया जा रहा है.
भुवनेश्वर में अंतिम संस्कार के लिए जिन चार जगहों की पहचान की गई है, वे सत्यनगर, एगिनिया, कपिलप्रसाद और भरतपुर हैं. सत्यनगर विद्युत शवदाह कोरोना महामारी के वक्त सबसे व्यस्त शवदाह गृहों में से एक था. यहां महामारी के चरम पर हर दिन शवों का ढेर लगा था. नगर निगम के अधिकारियों ने राज्य सरकार को बता दिया है कि 15 जून के बाद किसी भी सामूहिक दाह संस्कार कराया जा सकता है.
सीबीआई के रडार पर 5 रेलवे कर्मी
बालासोर में 2 जून को हुए इस हादसे की जांच सीबीआई कर रही है. सीबीआई की रडार पर एक स्टेशन मास्टर समेत 5 रेलवे कर्मी हैं. जबकि चार अन्य कर्मचारी हादसे के वक्त सिग्नलिंग से संबंधित ड्यूटी पर थे. जांच रिपोर्ट आने के बाद इन कर्मचारियों पर आगे की कार्रवाई का फैसला किया जाएगा. रेल मंत्रालय के अधिकारी पहले ही इंटरलॉकिंग सिस्टम में छेड़छाड़ की आशंका जता चुके हैं.
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