बधाई या बगावत का बिगुल, शिवपाल के जन्माष्टमी संदेश में कौन है 'कंस'?
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सपा के संस्थापक और संरक्षक मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव ने यदुवंशियों के लिए एक पत्र लिखा है. गीता का उल्लेख करते हुए उन्होंने बधाई दी है और साथ ही बगावत का बिगुल भी फूंक दिया है. शिवपाल ने जिस तरह का पत्र लिखा है, उससे चाचा-भतीजे के बीच द्वंद भी दिख रही है. हालांकि शिवपाल ने कंस के बहाने बहुत बड़ा सियासी संदेश दे दिया है.
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दी हैं. वैसे तो नेताओं का तीज-त्योहार पर बधाई संदेश देना आम है लेकिन शिवपाल ने अपने संदेश की जो चिट्ठी जारी की है उसके भरपूर सियायी मायने निकाले जा रहे हैं. इस बधाई संदेश को अखिलेश यादव के खिलाफ शिवपाल का बिगुल माना जा रहा है. सवाल ये भी है कि शिवपाल ने अपने संदेश में जिस 'कंस' की बात की है, वो उनकी नजर में आखिर है कौन जिससे लड़ने के लिए वो यादवों का समर्थन मांगते दिख रहे हैं.
शिवपाल ने पत्र में लिखा है कि जब भी समाज में कोई 'कंस' अपने पिता को छल-बल से अपमानित कर पद से हटाकर अनिधिकृत अधिपत्य स्थापित करता है तो धर्म की रक्षा में मां यशोदा के लाल ग्वालों के सखा योगेश्वर श्रीकृष्ण अवश्य अवतार लेते हैं और अपने योग माया से अत्याचारियों को दंड देकर धर्म की स्थापना करते हैं.
यादव समुदाय से शिवपाल यादव ने अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) को ईश्वर द्वारा रचित किसी विराट नियति और विधान का परिणाम बताया. इतना ही नहीं उन्होंने यादव समुदाय से कहा कि आप सभी धरती पर धर्म के रक्षक श्रीकृष्ण के ध्वजवाहक हैं कृष्ण के विराट व्यक्तिव की प्रतिछाया हैं. ऐसे में स्वाभाविक तौर पर धर्म की रक्षा करना आपका दायित्व व कर्तव्य है.
शिवपाल यादव ने अपने यादव समुदाय के लोगों से समाज में धर्म की स्थापना, शांति, सुरक्षा, सदभाव, समरसता, एकता और लोक कल्याण के लिए आह्वान किया. इस तरह शिवपाल यादव ने जन्माष्टमी के बहाने अपने यादव समुदाय को बड़ा सियासी संदेश ही नहीं दिया बल्कि एकजुट होकर अपने साथ आने की अपील की है. इतना ही नहीं उन्होंने 'कंस' का जिक्र करते जिस तरह से पिता के साथ छल-बल से अपमानित कर पद से हटाने की बात कही, उसके भी सियासी मकसद भी है.
शिवपाल सिंह यादव ने यदुवंशियों के लिए ओपन लेटर लिखा है. इस पत्र में शिवपाल ने गीता का उल्लेख करते हुए बधाई दी है. शिवपाल ने जो कुछ भी पत्र में लिखा है, उसे चाचा-भतीजे के बीच का द्वंद भी कहा जा रहा है. हालांकि शिवपाल ने पत्र में किसी के नाम का जिक्र नहीं किया है, लेकिन जानकार इसके मायने जरूर निकाल रहे हैं. उन्होंने गीता में भगवान कृष्ण के संदेश- यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत. अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम. का उल्लखेख करते हुए अत्याचारियों को दंड देकर धर्म की स्थापना किए जाने की बात कही है.
सपा और अखिलेश यादव से पूरी तरह सियासी नाता तोड़ चुके शिवपाल यादव ने अब खुलकर बगावत का बिगुल फूंक दिया है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर जिस तरह से उन्होंने यादव समुदाय को साथ आने के लिए आह्वान किया है, उससे भविष्य की उनकी सियासी मंशा भी जाहिर हो रही है.
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