
'फर्क नहीं पड़ता कि अब वह मुसलमान है', जब 74 साल बाद पाकिस्तान में बहन मुमताज से मिले बलदेव-गुरमुख
AajTak
भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ आने वाली है. आजादी की खुशी के साथ अंग्रेजों ने भारत को विभाजन का दंश भी दिया जिसकी कई कहानियां आज भी निकलकर सामने आते रहती हैं. आज भी कितने ही ऐसे परिवार हैं जिनके कुछ सदस्य भारत में तो कुछ सदस्य पाकिस्तान में हैं. भारत के सिका खान भी इनमें से एक हैं जो कुछ समय पहले करतारपुर कॉरिडोर में अपने पाकिस्तानी भाई सादिक खान से मिले. भारत के बलदेव और मुमताज की भी बिछड़ने और मिलने की भी कुछ ऐसी ही कहानी है.
आज भी भारत और पाकिस्तान के कई हिस्सों में साल 1947 में हुए दंगे का दर्द मौजूद है. ना जाने कितने ऐसे परिवार और लोग थे, जिन्होंने दंगाइयों की भीड़ में अपनों को खो दिया. हालत कुछ ऐसी थी कि किसी ने अपनी राह हिंदुस्तान की ओर पकड़ी तो किसी ने पाकिस्तान को चुना. आज भी कितने ही ऐसे परिवार हैं जिनके कुछ सदस्य उस समय इंडिया में तो कुछ सदस्य पाकिस्तान में ही रह गए. ऐसा ही कुछ भारत के सिका खान के साथ भी हुआ जो कुछ महीने पहले अपने पाकिस्तानी भाई सादिक खान से मिले. दोनों देशों की सरहदें तो सालों पहले बंट गई लेकिन दो भाइयों का प्यार नहीं बांट पाई और कुछ लोगों की मदद से आखिरकार एक दूसरे मिलना नसीब हो गया.
सिका सिंह सिर्फ 6 महीने के थे, जब वे अपने बड़े भाई सादिक खान से साल 1947 के दंगे के दौरान बिछड़ गए थे. सिका के पिता और बहन की जान दंगे में चली गई लेकिन 10 साल के सादिक बच गए और किसी तरह पाकिस्तान पहुंच गए. दोनों की मां इस गम को नहीं झेल पाईं और उन्होंने नदी में छलांग लगाकर अपनी जान दे दी. भटिंडा के रहने वाले सिका को गांव वालों ने किसी तरह बचा लिया, जिसके बाद भारत में रह रिश्तेदारों के घर उनका पालन-पोषण हुआ.
बचपन के बाद जब सिका को समझ आई तो उन्होंने अपने परिवार के इकलौते सदस्य पाकिस्तान में रहने वाले अपने भाई सादिक का पता लगाना शुरू किया. दशकों तक सिका खान अपने भाई सादिक की तलाश करते रहे लेकिन दोनों भाई नहीं मिल पाए.
करीब तीन साल पहले सिका के रहने वाले एक डॉक्टर ने उनकी कहानी को गंभीरता से लिया और दोनों भाइयों को मिलवाने की कोशिश में जुट गए. इन्हें मिलाने में पाकिस्तानी यूट्यूबर नासिर ढिल्लो ने भी काफी कोशिश की और आखिरकार इस साल जनवरी महीने में करतारपुर कॉरिडोर में दोनों भाइयों का मिलन हो ही गया.
सिका इस बारे में कहते हैं कि मैं भारत से हूं और वो पाकिस्तान से है, लेकिन हमें एक दूसरे आज भी बेहद प्यार है. सिका ने आगे कहा कि जब हम पहली बार मिले तो गले मिले और खूब रोए. भारत और पाकिस्तान के विवाद को लेकर उन्होंने कहा कि देश आपस में लड़ते रहें, हमें भारत और पाकिस्तान की राजनीति की कोई फिक्र नहीं है.
दोनों भाइयों को मिलवाने वालों में से एक पाकिस्तानी यूट्यूबर 38 वर्षीय ढिल्लो कहते हैं कि वे अभी तक अपने चैनल के जरिए सरहद की जंजीरों में फंसे 300 परिवारों को मिलवा चुके हैं. ढिल्लो ने इस बारे में आगे बताया कि ये उनके पैसे कमाने का जरिया नहीं बल्कि मन की शांति और जुनून है. उन्होंने कहा कि वे इनकी कहानियों को अपने परिवार की कहानी के तौर पर देखते हुए इन सभी की मदद करते हैं.

पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने गुरुवार को बलूचिस्तान के दौरे पर पहुंचे हैं, जहां उन्होंने कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की. पाकिस्तानी सेना का दावा है कि उसने रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर लिया है तो दूसरी ओर बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) का कहना है कि ISPR द्वारा किए गए दावे झूठे हैं और पाक हार को छिपाने की नाकाम कोशिश कर रहा है.

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.