
प्रोटेस्ट, लॉन्ग मार्च और इस्तीफा... ठीक इसी तरह 28 साल पहले शेख हसीना ने गिराई थी खालिदा जिया की सरकार
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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है. उनके इस्तीफे की मांग को लेकर कई दिनों से हिंसक प्रदर्शन हो रहे थे. इस्तीफा देने के बाद शेख हसीना ने बांग्लादेश भी छोड़ दिया है. लेकिन इसी तरह का वाकया 1996 में भी हुआ था. तब शेख हसीना विपक्ष में थीं और उनके प्रोटेस्ट के चलते खालिदा जिया की सरकार गिर गई थी.
हफ्तों से जारी हिंसक प्रदर्शनों के बीच बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देने के बाद उन्होंने बांग्लादेश भी छोड़ दिया. आर्मी चीफ वकार-उज-जमान ने बताया कि अब अंतरिम सरकार बनाई जाएगी.
शेख हसीना को पद से हटाने के लिए कई हफ्तों से छात्र सड़कों पर थे. रविवार को तो बांग्लादेश में जमकर हिंसा हुई. इस हिंसा में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी. सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने ढाका तक लॉन्ग मार्च भी प्लान किया था.
आलम ये रहा कि प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए देशभर में सेना को तैनात किया गया था. लेकिन बताया जा रहा है कि सेना ने इन प्रदर्शनकारियों को रोका तक नहीं. इससे पहले आर्मी चीफ ने कहा था कि सेना हमेशा लोगों के साथ खड़ी है.
शेख हसीना जनवरी में ही पांचवीं बार प्रधानमंत्री चुनी गई थीं. आम चुनावों में उनकी पार्टी आवामी लीग को 300 में से 224 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि, ये चुनाव विवादित माने जाते हैं और विपक्ष ने भी इसका बायकॉट कर दिया था. हालांकि, सात महीने से भी कम वक्त में शेख हसीना को जिस तरह से इस्तीफा देना पड़ा है, उसने 28 साल पहले खालिदा जिया के इस्तीफे की यादें ताजा कर दी हैं.
इतिहास दोहराया गया!
खालिदा जिया और शेख हसीना, दोनों के ही इस्तीफे की कहानी लगभग एक जैसी है. तब खालिदा जिया के खिलाफ शेख हसीना थीं और अब शेख हसीना के खिलाफ खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी).

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