![पैगंबर मोहम्मद को लेकर विवाद पर भारत को मिला इस मुस्लिम देश का साथ, कहा- यह आंतरिक मामला](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202206/sheikh_hasina-sixteen_nine.jpg)
पैगंबर मोहम्मद को लेकर विवाद पर भारत को मिला इस मुस्लिम देश का साथ, कहा- यह आंतरिक मामला
AajTak
पैगंबर मोहम्मद विवाद पर बांग्लादेश द्वारा आधिकारिक तौर पर बयान न जारी करने को लेकर बांग्लादेश के मंत्री ने कहा कि ये भारत का आंतरिक मामला है. यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला नहीं है, बल्कि बाहर का मामला है. वहीं, ये भारत का मामला है. दुनिया में जहां कहीं भी ऐसा होता है, इस्लामिक पक्ष इसका विरोध करते हैं, यहां भी किया. यह सामान्य बात है.
पैगंबर मोहम्मद को लेकर चल रहे विवाद को बांग्लादेश ने भारत का आंतरिक मामला बताया. बांग्लादेश के मंत्री ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद को लेकर टिप्पणी करने के बाद शुरू हुआ विवाद भारत का आंतरिक मामला है. उन्होंने कहा, अन्य मुस्लिम देशों की तरह बांग्लादेश में यह ध्यान खींचने वाला मामला नहीं है. इतना ही नहीं बांग्लादेश के मंत्री ने उन आरोपों को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा जा रहा था कि बांग्लादेश की सरकार ने इस मुद्दे पर समझौता कर लिया है.
बांग्लादेश के सूचना और प्रसारण मंत्री हसन महमूद ने इस मामले में भारत सरकार द्वारा कार्रवाई करने को लेकर बधाई दी और उन्होंने कहा पैगंबर मोहम्मद को लेकर दिए ऐसे किसी भी बयान की निंदा करनी चाहिए.
'पैगंबर मोहम्मद विवाद पर समझौता नहीं किया'
हसन महमूद ने कहा कि भड़काऊ बयान देने के मामले में भारत में FIR दर्ज की गई है. उन्हें उम्मीद है कि आगे की कार्रवाई की जाएगी. वहीं, बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार पर इस मुद्दे पर चुप्पी साधने के आरोपों से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, पैंगबर मोहम्मद पर बयान के मामले में बांग्लादेश की सरकार कोई समझौता नहीं कर रही है, न ही कभी वह ऐसा करेगी. मैंने खुद इसकी निंदा की है. मैंने इस मामले पर सार्वजनिक बैठक में निंदा जताई.
वहीं, इस मामले में बांग्लादेश द्वारा आधिकारिक तौर पर बयान न जारी करने को लेकर उन्होंने कहा कि ये भारत का आंतरिक मामला है. यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला नहीं है, बल्कि बाहर का मामला है. वहीं, ये भारत का मामला है. दुनिया में जहां कहीं भी ऐसा होता है, इस्लामिक पक्ष इसका विरोध करते हैं, यहां भी किया. यह सामान्य बात है.
कई मुस्लिम देशों ने किया था विरोध
![](/newspic/picid-1269750-20250214181736.jpg)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात ने दोनों नेताओं के बीच गहरी मित्रता को दर्शाया. ट्रंप ने मोदी को 'आई मिस यू' कहकर स्वागत किया, जबकि मोदी ने दोनों देशों के संबंधों को '1+1=111' बताया. दोनों नेताओं ने व्यापार, सुरक्षा और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की. ट्रंप ने मोदी को 'महान नेता' और 'खास व्यक्ति' बताया. मोदी ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा. दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की और शांति की आवश्यकता पर जोर दिया.
![](/newspic/picid-1269750-20250214171223.jpg)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात में दोस्ती और व्यापार पर चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की तारीफ की, लेकिन व्यापार मुद्दों पर तनाव बरकरार रहा. ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की, जो भारत के लिए चुनौती हो सकती है. मुलाकात में एफ-35 फाइटर जेट्स और तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर भी चर्चा हुई.
![](/newspic/picid-1269750-20250214141339.jpg)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग पर गहन चर्चा की गई. इस चर्चा में अमेरिका ने भारत को F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट्स, स्ट्राइकर कॉम्बैट व्हीकल्स और जावलिन मिसाइल्स की पेशकश की. विशेषज्ञों का विचार है कि ये हथियार भारत की आत्मनिर्भरता नीति के सटीक अनुरूप नहीं हैं.
![](/newspic/picid-1269750-20250214112147.jpg)
रूस-यूक्रेन जंग को खत्म करने का ब्लू प्रिंट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगभग तैयार कर लिया है. इससे पहले ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यू्क्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से फोन पर बातचीत की. ट्रंप चाहते हैं कि नाटो में शामिल होने की जिद्द यूक्रेन छोड़ दे लेकिन जेलेंस्की ने अपने देश की सुरक्षा का हवाला दिया है.
![](/newspic/picid-1269750-20250214095639.jpg)
PM नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई मुलाकात में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. आतंकवाद से निपटने में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बन गई, जिसमें ठाकुर हसन राणा के प्रत्यर्पण का विषय भी शामिल था. फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में भारत-अमेरिका के सहयोग पर भी वार्ता हुई, जहाँ अमेरिकी बाजार में भारतीय जेनेरिक दवाओं की भारी मांग है.