पुलिस, ड्राइवर, नेता और गवाह पर सवाल... सिस्टम को हैक करने वाले पुणे पोर्श कांड के सात अहम खुलासे
AajTak
क्या आप यकीन करेंगे जिस नाबालिग आरोपी पर शराब के नशे में धुत होकर बाइक से गुज़र रहे इंजीनियर लड़का-लड़की को उड़ा देने का इल्ज़ाम है, उसे बचाने के लिए ससुन अस्पताल के डॉक्टरों ने उसका ब्लड सैंपल ही बदल दिया था? सुनने में ये बात बेशक अजीब लगे, मगर ये सच है.
Pune Porsche Case Seven Revelations: आपने मुंबइया फिल्मों में ऐसे सीन तो कई बार देखे होंगे, जिसमें शहर का कोई घमंडी धन्नासेठ रुपयों के बल पर हर किसी को ख़रीदने का दावा करता है. पुणे में हुए पोर्श एक्सीडेंट का मामला कुछ-कुछ वैसा ही है. पुलिस, ड्राइवर, नेता, गवाह के बाद अब सरकारी अस्पताल के डॉक्टर तक सवालों के घेरे में आ चुके हैं. इल्ज़ाम है कि डॉक्टरों ने रिश्वत के लालच में नाबालिग आरोपी का ब्लड सैंपल ही चेंज कर दिया, ताकि हादसे के वक़्त उसके शराब के नशे में होने की बात साबित ना हो सके. लेकिन इसके आगे जो कुछ हुआ, वो चौंकाने वाला है.
सीसीटीवी फुटेज आरोपी के खिलाफ अहम सबूत आपने 18 और 19 मई की रात को पुणे के कल्याणी नगर इलाके में सीसीटीवी कैमरे में कैद पोर्श कार की कोहराम मचाने वाली तस्वीरें तो देखीं थी. अब इसी केस से जुड़ी एक दूसरी तस्वीर की बात, वो तस्वीर उस भयानक एक्सीडेंट के महज कुछ घंटे पहले की हैं. जिस एक्सीडेंट में बाइक पर जा रहे दो इंजीनियर्स बेमौत मारे गए थे. तस्वीरें नाबालिग आरोपी और उसके दोस्तों की हैं, जिसमें वो अपनी पोर्श कार के साथ नजर आ रहा है.
सूत्रों की मानें तो ये तस्वीरें नाबालिग आरोपी का जुर्म साबित करने के लिए पुणे पुलिस का अहम हथियार साबित हो सकती हैं. लेकिन आख़िर इस तस्वीर में ऐसा क्या ख़ास है? क्यों ये अहम साबित हो सकती है? इसकी चर्चा करेंगे, लेकिन पहले ये जान लीजिए कि इस केस को मैनेज करने और गुनहगारों को बचाने के लिए किस-किस लेवल पर कैसी-कैसी साज़िश रची गई और कैसे एक के बाद एक वो साज़िशें बेनक़ाब होती गई.
खुलासा नंबर 1 - बदल दिया 'ब्लड सैंपल' क्या आप यकीन करेंगे जिस नाबालिग आरोपी पर शराब के नशे में धुत्त होकर बाइक से गुज़र रहे इंजीनियर लड़का-लड़की की एक जोड़ी को उड़ा देने का इल्ज़ाम है, उसे बचाने के लिए ससुन अस्पताल के डॉक्टरों ने उसका ब्लड सैंपल ही बदल दिया था? सुनने में ये बात बेशक अजीब लगे, लेकिन पुलिस की जांच में यही बात सामने आई है. ससुन अस्पताल के दो डॉक्टरों ने रिश्वत के लालच में ना सिर्फ लड़के का कलेक्ट किया गया ब्लड सैंपल ही डस्टबिन में फिंकवा दिया था, बल्कि किसी और के ब्लड सैंपल को लड़के का ब्लड सैंपल बता कर उसकी एल्कोहल टेस्ट की रिपोर्ट बना कर दे दी, जो नेगेटिव आई और नेगेटिव ही आनी थी. लेकिन पुणे पुलिस ने इस साज़िश की हवा निकाल दी. और ससुन जनरल हॉस्पीटल के फॉरेंसिक मेडिसीन डिपार्टमेंट के हेड डॉ. अजय तावड़े और सीएमओ डॉ श्रीहरि हलनोर को गिरफ्तार कर लिया.
डीएनए और ब्लड सैंपल की जांच में अहम खुलासा पुणे पुलिस की जांच में पता चला कि बच्चे का सैंपल को बदलने का हुक्म खुद डॉक्टर तावड़े ने ही दिया था. और उन्हीं के कहने पर उसका ब्लड सैंपल डस्टबिन में डाल दिया गया. पुलिस की मानें तो ऐसा करने के लिए उन्हें खुद नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल ने फोन किया था और बदले में रिश्वत का लालच दिया था. लेकिन इस बात का खुलासा तब हो गया, जब आरोपी के दूसरे बल्ड सैंपल की रिपोर्ट आई. असल में मामले की जांच कर रही पुणे पुलिस की टीम ने आरोपी का एक दूसरा ब्लड सैंपल पुणे के ही एक दूसरे अस्पताल औंध में कलेक्ट करवाया था. जिसके बारे में ससुन अस्पताल के इन डॉक्टरों को खबर नहीं थी. हुआ ये कि औंध के उस ब्लड सैंपल को डीएनए टेस्ट के लिए भिजवाया गया, जो लड़के के पिता के डीएनए से मैच हो गया, जबकि ससुन अस्पताल में जिस ब्लड सैंपल की एल्कोहल टेस्ट की गई, उस सैंपल का डीएनए ही मैच नहीं हुआ. इससे ये साफ हो गया कि वो ब्लड सैंपल गलत था यानी उसे जानबूझ कर बदल दिया गया था.
आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 का केस अब सवाल ये है कि ब्लड सैंपल बदले जाने का इस केस पर क्या असर हो सकता है? तो सुनिए. ससुन अस्पताल में सैंपल बदलने का असर ये हुआ कि ब्लड में अल्कोहल होने की बात सामने नहीं आई. क्योंकि ब्लड ही किसी और का था. जबकि औंध अस्पताल में जो सैंपल लिया गया था, वो 18-20 घंटे बाद लिया गया, तो उसमें भी अल्कोहल होने के सबूत नहीं मिले. यानी ससुन के डॉक्टरों की कारस्तानी से अल्होकल की थ्योरी ही फेल हो गई. हालांकि पुणे के पुलिस कमिश्नर का कहना है कि चूंकि उन्होंने आईपीसी की धार 304 के तहत आरोपी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया है, खून में अल्कोहल होने या न होने से इस पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.